Book Title: Jinvani Guru Garima evam Shraman Jivan Visheshank 2011
Author(s): Dharmchand Jain, Others
Publisher: Samyag Gyan Pracharak Mandal
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10 जनवरी 2011 जिनवाणी 144
दिशाहीन युवा और आध्यात्मिक गुरु
श्री पदमचन्द गांधी (थांवला वाले)
युवा पीढ़ी सद्गुरु के अभाव में दिग्भ्रान्त है। उसे सद्गुरु की पहचान भी नहीं है। उसकी अन्धी दौड़ में प्रकाश की नितान्त आवश्यकता है। वह प्रकाश आध्यात्मिक सन्तस्वरूप गुरुओं से ही प्राप्त हो सकता है। ऐसे गुरु के प्रति श्रद्धा समर्पित होकर युवा अपने जीवन को एक सार्थक दिशा प्रदान कर सकता है। -सम्पादक
दिशाहीनता आज के युवाओं का आम सच है। देश के बहुसंख्यक युवा इस समस्या से घिरे हुए हैं। जीवन की राहों पर उनके पांव बहक रहे हैं, भटक रहे हैं तथा फिसलने लगे हैं। वे जो कर रहे हैं, उसके अंजाम या मंजिल का उन्हें न तो पता है और न ही इसके बारे में उन्हें सोचने की फुर्सत है। बस जिज्ञासा, कुतुहल, ख्वाहिश, शौक या फैशन के नाम पर उन्होंने टेढ़ी-मेढी राहों को चुना है, या फिर तनाव, हताशा, निराशा और कुण्ठा ने जबरन उन्हें इन रास्तों पर धकेल दिया है। मीडिया, टी.वी., फिल्में और आसपास का माहौल उन्हें इसके लिए प्रेरित कर रहा है। सामाजिक वातावरण भी दिशाविहीनता के लिए काफी हद तक जिम्मेदार है।
आज युवाओं में जिस नशे का जोर है उसमें शराब, सिगरेट, चरस, गांजा, अफीम, तम्बाकू आदि को कोई स्थान नहीं है। ये सब तो गुजरे जमाने की ओल्ड फैशन की चीजें हैं। सिगरेट, शराब तो आज सॉफ्ट आइटम कहे जाते हैं। आज का नया शगल जिसे युवा अपने तनाव को दूर करने का साधन बना रहे हैं वे हैं- पब , नाइट क्लब, कॉफी रेस्तरॉ, जहाँ उन्हें मिलता है, चिल्ड वॉटर, एनर्जी ड्रिंक्स, बेसिरपैर वाले हंसी मजाक, अपने में डूबो देने वाला नया संगीत, डांस और शस् । शर्ट्स अर्थात् नसों के जरिये ली जाने वाली हेराइन या कोकीन।
साइबर कैफे, संचार माध्यम एवं इन्टरनेट साधनों का बहुत सदुपयोग हो रहा है, लेकिन जिन्दगी से भटके युवक-युवतियाँ इसका दुरुपयोग कम नहीं कर रहे हैं। साइबर कैफे उनके जीवन में ज़हर घोलने की बड़ी भूमिका निभाते हैं। वर्ष 2006 में छतीसगढ़-रायपुर का एक प्रकरण समाचार पत्रों में प्रकाशित हुआ, जहाँ 150 साइबर कैफे पंजीकृत पाये गये, जहाँ पर समाचार संवाददाताओं और जानकारों की राय में अधिकतर साइबर कैफे पहुंचने वाले युवक-युवतियाँ चेंटिग के बहाने पोर्न साइटों को जरूर खंगालते हैं। आज का आंकड़ा कितना होगा जहां पर 24 घंटे ऐसी साइटें चलती हैं। एक प्रश्न चिह्न है।
ऐसी दिशाहीनता के लिए दोषी कौन? क्या केवल ये युवक-युवतियां अथवा परिवार या समाज,
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