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आचार्य भद्रबाहु गुम्फा मगध के द्वादशवर्षीय भीषण दुष्काल के समय आचार्य भद्रबाहु (ई.पू. चौथी सदी) अपने नवदीक्षित शिष्य मगध सम्राट चन्द्रगुप्त (मौर्य प्रथम) तथा १२००० साधु-संघ के साथ कलवप्र (श्रवणबेलगोला) पधारे थे। आचार्य भद्रबाहु ने इसी गुम्फा में बैठकर तपश्चर्या की थी। उसमें उनके चरण चिन्ह आज भी उपलब्ध हैं ।
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आचार्य भद्रबाहु की गुम्फा (चन्द्रगिरि, श्रवणबेलगोला) में ध्यानमग्न डा. राजाराम जी जैन ।