Book Title: Jain Pandulipiya evam Shilalekh Ek Parishilan
Author(s): Rajaram Jain
Publisher: Fulchandra Shastri Foundation

View full book text
Previous | Next

Page 119
________________ ८८ ६ 19 ७६ कुरजांगल कुलग (फारसी) = काक - ५७ कुवलाल (कर्नाटक की राजधानी) - ३२ कुशराज (राजा वीरमदेव तोमर का महामंत्री) कुशलसिंह (राजा) कूटलिपि - ११ कूटलेखन कृष्णराज (राजा) - ७२ कृष्णसार के.पी.जायसवाल (डॉ.) - १६ के.पी.जायसवाल रिसर्च इन्स्टीट्यूट (पटना) के.बी.पाठक (डॉ.) ७५ केरल केरलपुत्र -१४,१८ केलंगेरे (कर्नाटक के प्रसिद्ध जैन केन्द्र) - ३४ केशराज मुनि (रामयशोरसायनरास के लेखक (सचित्र ग्रन्थ) __-८ कैलाशचन्द्र (पं.) कैलाशनाथ काटजू कैलाशपर्वत कोंकणपट्टण कोंगालव राजेन्द्र कोंगुणि वर्मा कोटिशिला कोप्पण (कर्नाटक का प्रसिद्ध जैन केन्द्र) - २६, ३४ कोप्पण (कवि) ३४ कोप्पल २८ कोल्हापुर - ४५ कोहिनूर हीरा कौमार - ६५ खउसार (फारसी)=चर्मकार-चमार – ५८ जैन-पाण्डुलिपियाँ एवं शिलालेख खंडगिरि (भुवनेश्वर) - १०, १७, ६६ खरताड (ताड़ का एक प्रकार) -६ खरोष्ठी (लिपि) - ६, १०, ११, १२, १३ खापुरू (फारसी) = कर्पूर - ५८ खारवेल (कलिंग सम्राट)- २, ४, ५, १०, १६, १७, १८, २०, २३, २४, २७, २८, २६, ३५, खारवेल-शिलालेख – २, १६, २१, २८ खास्य (लिपि) - ११, १२ खुशफहम (कादम्बरी टीकाकार भानुचन्द्र सिद्धिचन्द्रगणि के लिये सम्राट अकबर द्वारा प्रदत्त उपाधि) खेड़ागढ़ (जोधपुर) खेमसिंह (रइधू कवि का ___ आश्रयदाता) खोतन (नगर) गंगराज अविनीत __ - ३२, ३७ गंग (राजवंश) गंग (नरेश) गंगवाडी (कर्नाटक का एक सांस्कृतिक नगर) - ३२ गंडी (ताड़पत्रीय पाण्डुलिपि का एक भेद) गंधहस्तिभाष्य (एक लुप्त ग्रंथ) - ६३, ७७, ७६ गढ़ चम्पावती गणावर्तलिपि गणियालिपि गणेश वर्णी दि. जैन संस्थान गन्धर्व-लिपि गन्धर्व-विद्या गयासुद्दीन (बादशाह) गरुड़ लिपि गवर्नमेंटस क्वीनस् कालेज, वाराणसी -३० - ४३

Loading...

Page Navigation
1 ... 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140