Book Title: Jain Pandulipiya evam Shilalekh Ek Parishilan
Author(s): Rajaram Jain
Publisher: Fulchandra Shastri Foundation

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Page 125
________________ ६४ जैन-पाण्डुलिपियाँ एवं शिलालेख पार्श्व (तीर्थकर) - २१ पोन्न (कन्नड. कवि) - २६, ३५ पार्श्व पण्डित (कन्नड कवि) - २६ पोयसल वंश (होयसल वंश) - ३४ पासणाहचरिउ (बुध श्रीधर) प्रतापसिंह (नरेश) कृत (अपभ्रंश महाकाव्य) - ४२, ६५, ७३ प्रतापरुद्र चौहान (चन्द्रवाडपट्टन पाहुड दोहा - ७६ __नरेश) पिथुड प्रतिहार वंश पीतल (धातु प्राच्यकालीन प्रभंजन राजर्षि (विस्मृत ग्रंथकार) - ६३ लेखनोपकरण सामग्री) -.२ प्रभाचन्द्राचार्य - ७, २६, ६८ पुंडरीकणी (नगरी) -२, ६६ प्रभुदयाल अग्निहोत्री (प्रो.डॉ.) - ६४ पुक्खलावइ (पुष्कलावती नगरी) - ६६ प्रमेयकमलमार्तण्ड - ७ पुण्यविजयजी (प्राच्यविद्याविद् मुनि) -५ प्रयाग - ६० पुण्यविजय जी (मुनि) - ८१ प्रवचनसार - ६३, ६५, ६८ पुण्णासक्कहा (रइधू कृत) - ७४ प्रश्नरत्न (विस्मृत ज्योतिष ग्रंथ) - ४५ पुण्णित (सेनापति) ___ - ३१ प्रश्नोत्तरमाला (देवेन्द्र टीका) - ६२ पुण्णितमय्य (कन्नड सेनापति) - ३४ । प्रश्नोत्तररत्नमालिका - ३८, ३६, ४६ पुन्नाड (जैनविद्या केन्द्र) __ - २८ प्रहलादनपुर (विस्मृत नगर) - ६६ पुष्करगण (भट्टारकों का एक प्राकृत -८, ३३. सम्प्रदाय) - ४५ प्राकृत शिलालेख पुष्करसारी (लिपि) प्राची नदी पुष्पदन्त (आचार्य) - १२, १५, १७, ३७ फादर माण्टेसर्राट पुष्पदन्त (महाकवि) – ६, २६, ४०, ७१, __ (विदेशी पर्यटक) ७२, ७५, ७८ ८६, ८७, ६२ फार्वीस (इतिहासकार) पुष्पषेण सिद्धांतदेव फारसी लिपि - १२, ५४, ५५ पुष्पलिपि - १३ फारसी भाषा - ५०, ५२, ५३ पुष्पायुर्वेद फाहियान (चीनी पर्यटक) - ६६ पूज्यपाद (आचार्य) फिरोजखान - ४० फिरोजाबाद - ४३, ४६ पूर्वविदेह-लिपि - १३ फूलचन्द्र जी (सिद्धांतशास्त्री, पेकिंग (चीन) पं.) - ६७, ८१, ८२ पेरिस - ५८, ६१, ७७ फ्रांस - ४७, ६१, ७७ पेरूर (ग्राम) फ्रेंचभाषा पोचव्वरसी (कर्नाटक की बंकापुर (कर्नाटक) आदर्श महिला) - ३४ बंगलिपि पोत्थवं (पोथी-धर्मपुस्तक) -७ बंगाल - २६, ३५ बट्टकेर (आचार्य) __ - १५, ७६ - ३६ - ३५ । । । पूना । । । । । । । । पोदनपुर

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