Book Title: Jain Pandulipiya evam Shilalekh Ek Parishilan
Author(s): Rajaram Jain
Publisher: Fulchandra Shastri Foundation

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Page 131
________________ १०० वीरदास (आश्रयदाता-पुत्र) वीर निर्वाण भारती वीरवन्दक (विस्मृत कवि) वीरम तोमर (गोपाचल का तोमर राजा) वीर राठौड़ राय वीरसेन स्वामी (धवला टीकाकार) वी. राघवन ( डॉ.) वीसलदेव (राजा) वृत्तविलास (कन्नड कवि सोमनाथ कृत) वृषभ पुत्र (भरत) वेनेय-वीर सेनापति वेवर (प्रो. डॉ.) वैदिक धर्म वैदिकागम वैद्यशास्त्र वैशाली शंकर (भगवान) शंकर सामन्त शकारि - लिपि शर्की (मुस्लिम शासक) शब्दावतार न्यास शल्यतंत्र (लुप्त ग्रंथ) शर्ववर्म - - ७४ ७६ - ४५ शहर (फारसी) = शहर, नगर शाकटायन (वैयाकरण) - शान्तर (कर्नाटक का एक राजवंश) शान्तलादेवी (महारानी) शान्तिनाथ (कन्नड कवि) शान्तिनाथ पुराण (कन्नड कवि पोन्नकृत) ४७, ७४ २६, ३७ ४८,६१,७६ - - │││I w ♡ w w i 20 89998 ४७ - । । ४१ T I २६ ३० ६६ १८ - १४ - ४४ ६३ * r x m m m - ५ - ४४ ६३ ६४, ६५, ६६ ३३ १३ ४३ ५८ ३८. ३४ ३४ २६ ३३ जैन- पाण्डुलिपियाँ एवं शिलालेख शान्तिनाथ पुराण (अपभ्रंश, अप्रकाशित महाकवि रइधू कृत) शान्तियण्ण (कर्नाटक का सेनापति) शान्तियव्वे (कर्नाटक की आदर्श महिला विदुषी रत्न) शान्तिषेण या शान्त (विस्मृत ग्रंथकार ) शास्त्रावर्त-लिपि शिलाहार शिवकोटि (आचार्य) शिवमार राजा (द्वितीय) शिवार्य (आचार्य) शिवि (राजा) शिशुनागवंशी (राजा) शुभचन्द्र (भट्टारक) शूद्रक (महाकवि) शौरसेनी (भाषा) श्रवणबेलगोला ६३ १३ शाहजहाँ (बादशाह) - ४७, ४८, ४९, ५० शिलप्पदिकार (तमिल का आद्य जैन महाकाव्य) — श्रीचन्द्र (अपभ्रंश कवि) श्रीताड (ताडपत्र का भेद) श्रीदत्त (ग्रंथकार ) श्रीधर- विबुध (अपभ्रंश का महाकवि) श्रीधराचार्य - 1 - - श्रीपाल त्रैविद्यदेव श्रीलंका श्रीविजय (अपरनाम अपराजित) I ││ - ३१ ३५ १५, ४०, ६३ 6 — २४ x ≈ ≈ ≈ ≈≈ - ४२ - ३३ - ६२ ३२ ७, २८, २९, ३२, ३४, ६६ - ५६ ६ ६३ १६ ४६ २८.५१ ३७ 5 ४२, ६५ २६ श्रीनन्दि (भट्टारक) श्रीपाल - महासार्थवाह - ६१, ७० ७१ ७७ श्रीपालचरित (रइधू कृत) - ७७ ६३ ३४ ६२ ६३

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