Book Title: Jain Pandulipiya evam Shilalekh Ek Parishilan
Author(s): Rajaram Jain
Publisher: Fulchandra Shastri Foundation
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८६
- ३५
जैन-पाण्डुलिपियाँ एवं शिलालेख उत्तरपुराण (गुणभद्रकृत) - ३८ कच्छपी (ताड़पत्रीय पाण्डुलिपि । उत्तर प्रदेश - १६, ६६ का एक प्रकार)
-६ उदयगिरि (कलिंग की ऐतिहासिक कटवप्र-श्रवणबेलगोल पहाड़ी) - १०, १७, ६८, ६६ (कर्नाटक)
- १४, १७ उदयदेव पण्डित (अपरनाम निरुवद्य क तानु (फारसी) = मत्कुण - ५७ पण्डित)
कदम्ब (वंश)
- ३१, ३४ उदयसमुद्रगणि (ग्रंथकार) - ५० कनारिलिपि (कन्नड़ लिपि) - १२ उदु (फारसी) = अगरु
कर्नाटक
-२८, २६, उर्दू (भाषा)
कनिंघम (पुराविद) उर्ध्वान्तरित (लिपि)
कन्ती (कन्नड़ कवियत्री) - उपासकाचार
कन्नड़ लिपि उमास्वामी (आचार्य)
कन्नड़ साहित्य
- २७, २८ उरगपुर (त्रिचरापल्ली) -२४, ३६ कपड़ा (प्राचीन लेखनोपकरणउग्र लिपि
सामग्री)
-२ उग्रादित्य आचार्य
कबीर (सन्त कवि) - ६७. ७६ उलात (फारसी) = देश -५८ कमलकीर्ति (भट्टारक) - उस्तुरू (फारसी) = ऊँट
कमलनव (कन्नड़ कवि) - ऊर्ध्वधनुलिपि
कमलसिंह (संघपति एवं ऊर्वी (लिपि)
मंत्री) -४४, ७१, ७२, ७४ ऊयाजकु (फारसी) = गृहगोधिका – ५३ कम्महलखिण-सम्राट खारवेल ऋग्वेद
-२२ ___ कालीन कार्यवाहक-पदाधिकारी - २७ ऋषभ (तीर्थंकर)
कम्बिका (ताड़पत्रीय पोथी का ऋषभस्तोत्र
-४६, ५०, ५१, एक प्रकार) ऋषितपस्तप्रलिपि
- १३ ___ करकंडु चरिउ ऋषिराम (साहू नमिदास का पुत्र) – ७५ कर्गलीय (कागज पर लिखित) - एक्कोटि जिनालय
- ३३ ।। कर्णपार्य (कन्नड़ कवि) - २६ एथेंस (यूनान की राजधानी) -४ कर्नाटक कवि चरिते - २, १६, २१, २२, ए. एन. उपाध्ये (प्रो.डॉ.) - ७६, ८१
२३, २६, ३०, ३१ एस.एम.कात्रे
कर्पूर
- ५८ ऐचिरल (कर्नाटक का सेनापति) - ३१ ।। कलकत्ता
- ६४, ७६ ऐहोले (सुप्रसिद्ध तीर्थ नगर) - ३५ कलाप, कलापक (कातन्त्रकक्कुक (घट्याला, जोधपुर
व्याकरण)
- ६४, ६६ का शासक)
- ३५, ३६ कलिंग-जिन - १७, १६, २०, २१, २४ कगंडक दुर्ग
- ६६ कलिंग (लिपि) कछवाहा (राजवंश)
- ४७ कल्कि (राजा)
- १२
- २१, २२, ५४

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