Book Title: Jain Pandulipiya evam Shilalekh Ek Parishilan
Author(s): Rajaram Jain
Publisher: Fulchandra Shastri Foundation
View full book text
________________
- १६, ७१
प
Y
.
१०
-२०
१८
जैन-पाण्डुलिपियाँ एवं शिलालेख दिल्ली (दिल्ली)
- ४२ णमोकार मन्त्र णवयार मंत्र णाड (अज्ञात नगर) णायकुमारचरिउ (पुष्पदन्त) णेमदास (सेठ) तक्षकगढ़ दुर्ग तक्षकोको (मैक्सिको) तक्षशिला तनुहांग (मध्य एशिया) तमिरदेहसंघात-खारवेल कालीन
तमिल संघ तमिल
२०, २४ तमिल जनपद तमिलनाडु तमिल महासंघ तमिल लिपि तमिल संघात तलकाड-कर्नाटक का
प्राचीन जैन विद्यापीठ - २८, ३७ ताड़पत्रीय पाण्डुलिपि -७,४५ ताम्रपट्ट ताम्रपर्णी
- १८, २० तारूसंग (फारसी) = मोरपक्षी - ५७ तिब्बत देश
-३६, ६२ तिब्बती अनुवाद
-३६, ७७ तिब्बती लिपि तिरुवल्लुवर तिलकचन्द्र तिसट्टिपुरिसगुणालंकारु तुर्किस्तान तुरुक्की-लिपि
- १२ तुलादान तोमरवंशी राजा
तोलकप्पियम (तमिल जैन
व्याकरण ग्रंथ) त्रिगर्त त्रिकालमुनिभट्टारक त्रिचिरापल्ली त्रिपिटक त्रिषष्ठिशलाकामहापुराणपुरुषचरित - ४० विद्य-देव विद्य गोष्ठी ग्रन्थ थलु कायस्थ थिरुक्कुरल दडिग, इक्ष्वाकुवंशी दक्षिण लिपि दण्डक दन्तिदुर्ग दयाकुसल दयापाल (विद्वान) दयासुन्दर काव्य
७४ दरद (लिपि)
- ११, १३ दरबारीलाल कोठिया पं. - ८२ दरभंगा (नगर) दलसुख मालवणिया (पं.) - ८२ दशभक्ति दशवैकालिक (हारिभद्रीय टीका) दशोत्तरपदसन्धि लिखित लिपि - ११ दशोत्तर लिपि दानशाला द्राविडी (लिपि) - ११, द्वादशांगवाणी - १३, २१, २५ द्वादशानुप्रेक्षा (कुन्दकुन्दकृत) - ६३ दिरम =चार आना के बराबर एक सिक्का
- ४१ दिलावरखाँ गौरी
__ - ४३ दिल्ली - ३६, ४२, ४७, ६०, ६५, ७३,
०
M94

Page Navigation
1 ... 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140