Book Title: Jain Pandulipiya evam Shilalekh Ek Parishilan
Author(s): Rajaram Jain
Publisher: Fulchandra Shastri Foundation

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Page 94
________________ २६. 6 जैन-पाण्डुलिपियाँ एवं शिलालेख सूत्रकृतांग सूत्र-विभिन्न टीकाओं सहित आचारांग टीका (शीलांकाचार्य कृत) कल्पद्रुमकलिका (कल्पसूत्र पर टीका) दशवैकल्पिकावृहवृत्ति (हरिभद्र कृत) की कुछ प्रतियाँ परिशिष्ट पर्व हेमचन्द्र प्रवचनसारोद्धार की १६०६ गाथाएँ श्रुतिविचार-(सहज कुशल) संकलन ग्रंथ आचारप्रदीप (लोककथा संग्रह) रत्नशेखर ब्राह्मी एवं खरोष्ठी लिपियों में प्राप्त कुछ पाण्डुलिपियाँ (जो सेण्ट्रल एशिया में उत्खनन में प्राप्त हुई) विविध सन्दर्भो से ज्ञात ऐतिहासिक मूल्य की लुप्त-विलुप्त अथवा अनुपलब्ध कुछ प्रमुख जैन-पाण्डुलिपियों की सूची - आचार्य कुन्दकुन्द कृत ८४ पाहुडों में से केवल समयसार, नियमसार, पंचास्तिकाय, प्रवचनसार, अष्टपाहुड, दशभक्ति, द्वादशानुप्रेक्षा एवं रयणसार के अतिरिक्त अन्य ग्रन्थ अनुपलब्ध, समन्तभद्र कृत वैद्यशास्त्र एवं गन्धहस्तिमहाभाष्य, गुणाढ्यकृत वड्ढकहा (पैशाची-प्राकृत में निबद्ध), यतिवृषभकृत षट्करण स्वरूप, आचार्य विमलसूरि कृत हरिवंसचरियं, शिवार्यकृत सिद्धिविनिश्चय, आचार्य सर्वनन्दि कृत लोक-विभाग, श्रीदत्तकृत जल्पनिर्णय, पूज्यपाद कृत सारसंग्रह, जिनाभिषेकपाठ, पाणिनीय व्याकरणन्यास एवं नवस्तोत्र, कूचि भट्टारक (अपरनाम श्रीनन्दि भट्टारक, ७वीं सदी से पूर्व) कृत महापुराण (शौरसेनी प्राकृतभाषा-निबद्ध) । अज्ञात-कर्तृक शौरसेनी-प्राकृत निबद्ध त्रिषष्ठिलक्षण (७वीं सदी से पूर्व), पात्रकेशरिकृत त्रिलक्षणक-दर्शन एवं शल्यतन्त्र, देवगुप्त (उद्योतनसूरि के समकालीन) कृत त्रिपुरुषचरित, अजितयश कृत तर्कशास्त्र सम्बन्धी कोई ग्रन्था, शान्त या शान्तिषेण कृत उत्प्रेक्षालंकार के लिए प्रसिद्ध कोई ग्रन्थ, आदित्यकृत वर्धमानपुराण, राजर्षि प्रभंजन कृत उत्प्रेक्षालंकार के लिए प्रसिद्ध कोई ग्रन्थ, आचार्य विशेषवादी कृत न्याय-दर्शन का कोई ग्रन्थ, अपराजित (अपरनाम श्रीविजय) कृत दशवैकालिकसूत्र पर टीका-ग्रन्थ, ॐ ॐ ॐ ॐ है, ""

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