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भगवत्ता फैली सब ओर
तोड़ने से नुकसान हुआ, मगर हमने अनुभव नहीं बटोरा । अनुभव तो कदम-कदम पर दस्तक देते चले जाते हैं मगर हम उनके प्रति सचेत न हों तो यह हमारी लापरवाही है।
आदमी को अपने ही बनाए घेरे से ऊपर उठने की चेष्टा करनी चाहिए। जीवन रहस्य है, उसे समस्या मत बनाओ। यह तो उतना गहन रहस्य है कि इसे सिर्फ जिया जा सकता है
और जीने का अर्थ जीने का अनुभव करना है। अनुभव से जीवन को सार्थक कर पायोगे, और कोई रास्ता ही नहीं है, जीवन तभी बच पाएगा।
___ अध्यात्म का अर्थ यह नहीं है कि किसी महापुरुष के सूक्ति वाक्य पढ़ लिए, या किसी का जीवन चरित्र पढ़ लो। जीवन का असली अध्यात्म यही है कि व्यक्ति अपने जीवन के अनुभवों को कितना पढ़ता है। महापुरुष की प्रात्म-कथा भले ही सौ बार पढ़ लो, जीवन में कोई क्रांति घटित न होगी। शिक्षा मिलेगी उससे, पर क्रान्ति नहीं। कभी अपनी स्वयं की
आत्म-कथा को पढ़ने का प्रयास किया है ? आदमी सुबह उठता है। नित्य कर्मों से फारिग होता है। भोजन करता है । दूकान चला जाता है। वापस घर आ जाता है। खाना खाकर सो जाता है । जरा विचार करो क्या यही जीवन का निष्कर्ष है ? यह तो धोबी के गधे की यात्रा हो गई। घर से घाट और घाट
से घर।
पैदा हुए। जवान हुए। विवाह हो गया। संतान हो गई। दो-चार लाख रुपए कमा लिए। जीवन समाप्त हो गया, निष्कर्ष क्या निकला ? जीवन का सार क्या निकला ? एक अनपढ़ हमारे मकान के निर्माण में जुटा है वह भी आप ही की
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