Book Title: Bhagwatta Faili Sab Aur
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 88
________________ नींद खोलें भावों की ८३ मुझे कुन्दकुन्द बहुत प्रिय हैं। प्रिय इसलिए हैं क्योंकि कथ्य की जैसी सम्भावनाएं कुन्दकुन्द में छिपी हैं, वैसी अन्यत्र नजर नहीं पाती। कुन्दकुन्द ने जीवन के विभिन्न पहलुनों पर बारीकी से चिंतन कर उन्हें बड़े ही मनोवैज्ञानिक ढंग से प्रस्तुत किया है। वे किसी जिन धर्म के समर्थक हैं, इसलिए मैं उन पर नहीं बोल रहा हूँ। कुन्दकुन्द के जीवन में जिनत्व की पाराधना थी। उन्होंने सत्य की इतनी बारीक अनुभूति पाई कि केवल उनका जीवन ही उससे प्रकाशवान नहीं हुआ, अपितु उनकी रोशनी सब के कल्याण के लिए फैली। एक साधु की यही प्रभावना होती है कि उसने जो पाया, उसे संसार को सौंप दे। कुन्दकुन्द के वक्तव्य भी हमारे लिए प्रभावना ही हैं। हर व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह प्रभावना स्वीकार करे, उसे ठुकराए नहीं। कुन्दकुन्द प्रभावना दे रहे हैं। इसे स्वीकार करो। प्रभावना का अर्थ यह भी होता है कि जो हम अपने लिए स्वीकार करते हैं वही सम्भावनाएं हम दूसरों में भी स्वीकार करें। प्रभावना हम इसलिए देते हैं ताकि हम दूसरों को अपने गले लगा सकें और दूसरों को इस बात के लिए प्रेरित कर सकें कि वे हमारे गले लग जाएं। यह धर्म प्रभावना है। एक दीपक हजारों दीपक रोशन कर देता है। प्राचार्य भी एक ऐसे दीपक हैं, जो अपने ज्ञान रूपी दीपक से दुनिया के बुझे हुए हजारों-हजार दीपक रोशन कर दें। ज्योति की महिमा ही ऐसी है। वह बांटने से बढ़ती है। किसी को अपना धन दोगे तो वह कम हो जाएगा मगर हम Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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