Book Title: Anuyogdwar Churni
Author(s): Rushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha,
Publisher: Rushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha
View full book text ________________
पूच्या
श्रीअनु होज्जा, अस्य हृदयं-देशोनलोकावगायपि द्विसमयस्थितिर्भवति, शेष सुगम, यावदन्तरचिन्तायां 'एगं दव्वं पडुच्च जहण्णेणं एक समयं
कालानुहारि.वृत्तोउकोसण दो समया' अन्तरं त्वेगं दव्वं पडुच्च जहण्णेणं एकसमय, एगट्ठाणे तिनि वा चत्तारि वा असंखज्जे वा समया ठातिऊण ततो
अन्नहिं गतूणं तत्थ एगं समयं ठाइऊण अन्नहिं गंतुं तिणि वा चत्तारि वा असंखेज्जा वा समया ठाति, एवं आणुपुग्विदव्वस्सेगस्स जह-दा अन्तरं ॥५३॥
ण्णण एग समयं अंतर होति, उकोसेण दो समया, एकहि ठाणेहिं तिन्नि वा चत्तारि वा असंखेज्जे वा समये ठाइऊण ततो अन्नहिं ठाणे दो समया ठातिऊण अण्णहिं तिण्णि वा चत्तारि वा असंखेज्जा वा समया ठाति एवं उक्कोमेणं दो समया अंतर होइ, जइ पुण मज्झिमठाणे | तिन्नि समया ठायइ तो मज्झिमे वा ठाणे तं आणुपुब्बिदव्वं चवत्ति अंतरं चेव ण होइ, तेणेवं चेव दो समया अंतरं । आह-जहा अन्नहित ठाणे दो समया ठितं एवमन्नहिपि किमेकं न चिट्ठति?, पुणोवि अन्नहिं दो अण्णहिं एकंति, एवं अणण आयारेण कम्हा असंखज्जा समया | अंतरं न भवति ?, उच्यते, एत्थ कालाणुपुव्वी पगता, तीए य कालस्स पाधण्ण, जहा य अण्णण पदेसट्टाणेण अंतरं कज्जइ तदा खेत्तदारेण | करणाओ खेत्तस्स पाहण्णं कतं भवति ण पुण कालस्स, अतो जेण केणइ पगारेण तिसमयादि इच्छति तेणेव कालपाहणतणओ आणुपुब्वी लब्भइत्ति काउं दो चेव समया अंतरंति स्थित, णाणाव्वाई पडुच्च णत्थि अंतरं, जेण असुण्णो लोगो, अणाणुपब्विअंतरपुच्छा, एकद्रव्यं प्रकृत्योच्यते-जहण्णेणं दो समया, पढमे ठाणे एगसमयं ठाइऊण मज्झिमे ठाणे दो समय ठाइऊण अन्तिमे एगं समयं ठाति, एवं जह-IG | ण्णेणं अंतरं दो समया, जति पुण मज्झिमेवि एक समयं ठायइ ततो अंतरं चेव न होति, मज्झिमिल्लठाणे अणाणुपुब्बी चेवत्ति, तम्हा दो चेव जहण्णेणं समया, उक्कोसणं असंखेज्जकालं, पढमे ठाणे एकं समयं चिट्ठिऊण मझिमे ठाणे असंखेज्जे समए चिट्ठिऊण अन्तिमे ठाणे एक
॥५३॥ समयं ठाति, एवमसंखेज्जं कालं उक्कोसेणं अंतरं होंति, णाणादव्वाई पडुच्च णत्थि अंतरं, भागद्वारं तथा भावद्वारं अल्पबहुत्वद्वारं च क्षेत्रा
55445
CRANCCCCCCA
Loading... Page Navigation 1 ... 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222