Book Title: Antar Ki Aur
Author(s): Jatanraj Mehta
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 20
________________ अनुक्रमणिका । १. विराट के दर्शन मुक्त गगन गुरु वन्दना नियति-नटी आशा दीप अनन्त छवि ७. मन रूपी धरती कुहु की टेर सत् चित् आनन्द जीवन नौका ११. विराट् विश्व १२. प्रतिबिम्ब १३. प्रणय-वेला १४. जीवन की बगिया १५. प्रेम का झरना १६. समग्र चेतना १७. शाश्वत विजय १८. सरोवर की सैर १९. ठगा सा रह गया २०. बलिदान २६. मृग २७. अद्वैत २८. आँख मिचौनी २९. मदनोत्सव ३०. दक्षिणेश्वर से उत्तरेश्वर ३१. मन रूपी हरिण ३२. अनन्त के नाथ ३३. प्रेमास्पद स्वरूप ३४. आत्म रथ ३५. हम तुम एक हो गये ३६. कोयल की कूक ३७. अमी रस का निर्झर ३८. प्रेम में पागल ३९. नन्दन वन ४०. प्रभु का प्रतिबिम्ब ४१. प्रभु प्राप्ति ४२. सृष्टि ४३. अमृत ही अमृत ४४. अनन्त का स्वागत ४५. संयम सुन्दर है ४६. निर्वाण-पथ ४७. मेरा जीवन धन्य है ४८. ऋतु राज ४९. नया युग ५०. प्रबल पुरुषार्थ २१. पदचाप २२. अभिलाषा २३. सत्य ही ईश्वर है २४. प्रतिपालन २५. उषा की बेला

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