Book Title: Antar Ki Aur
Author(s): Jatanraj Mehta
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 93
________________ ७२. फल का चुनाव मैं उपवन के शीतल मन्द समीर का आनन्द ले रहा था युकोलिप्टिस के पेड़ों से भीनी-भीनी सुगन्ध आकर तन-मन को सहला रही थी बाँसों का एक हल्का सा झुरमुट सामने सिर उठाए खड़ा था मैं उद्यान की शोभा निहार रहा था एकाएक एक सुन्दर फूल पर जाकर नजर अटक गई फूल बड़ा मनोरम था कोमल पंखुड़ियाँ-सुन्दर रंग से सजी हुई थीं आकार-प्रकार भी सुन्दर था किन्तु सौरभ विहीन था नजर उठाकर देखा तो दूर चमेली का झुरमुट खड़ा था हरी साडी से लिपटी चमेली की बेल किसी वृक्ष के सहारे खड़ी थी सफेद-सफेद से फूल हवा के साथ अंगड़ाईयाँ ले रहे थे न कोई रंग-न कोई आकार-प्रकार फिर भी सौरभ का पराग उठ-उठ कर चारों ओर के वातावरण को सुरभित कर रहा था, सुवासित कर रहा था। दूर एक गुलाब का फूल भी मस्तक ऊँचा किये झूम रहा था रंग भी, सुगन्ध भी, सौन्दर्य भी सभी गुण विद्यमान थे मैं सोच रहा थाअपनी जीवन बगिया में कौन से फल उगाने हैं?

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