Book Title: Antar Ki Aur
Author(s): Jatanraj Mehta
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 44
________________ २३. सत्य ही ईश्वर है मेरे प्रभो! मेरे विभो! सत्य ही ईश्वर है, सत्य ही प्रकाश है सत्य ही शक्ति हैसत्य ही भक्ति है, मेरे प्रभो! मेरे विभो! जिनके हृदय में सत्य का श्वेत पुष्य हो, वे धन्य हैं हृदय में उत्पन्न सत्य रूपी सुमन की सौरभ दिगदिगन्त में व्याप्त हो जाती है मेरे प्रभो! मेरे विभो! सत्य की आभा से हृदय और अधिक प्रकाशमान हो उठा है अन्धकार समाप्त हो गया है हे मेरे प्रभो! हे मेरे विभो!

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