Book Title: Antar Ki Aur
Author(s): Jatanraj Mehta
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 36
________________ १५. प्रेम का झरना मेरे हृदय में प्रेम झरता रहे मेरा हृदय हर्ष से यों उछलता रहे जैसे फूलों से सुगन्ध! मेरे जीवन से आनन्द झरता रहे जैसे हिमालय से गंगा का झरना मेरे हृदय का कण-कण खुशी से गा उठे नाच उठे इस विश्व का कण-कण खुशी से भर जाय विश्व के सभी प्राणी सूखों को प्राप्त करें - आनन्द को प्राप्त करें अजर अमर अविनाशी, परम सत्ता में, परमात्म रूप को प्राप्त करें। अजर-अमर-अखिलेश के श्री चरणों में पावन प्रणाम! हे मेरे प्रभो! हे मेरे विभो! 35.

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