Book Title: Anekant 1995 Book 48 Ank 01 to 04
Author(s): Padmachandra Shastri
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

View full book text
Previous | Next

Page 19
________________ अनेकान्त/१४ जब गये तो घर की श्राविका उन्हे देख कर सहम गयी। श्रावकों के सुझाव पर साधु लोग अर्ध वस्त्र (दुपट्टा) आगे करके एक हाथ मे भिक्षा पात्र और दूसरे में लाठी लेकर जाने लगे । रामिल्ल, स्थविर और स्थूलभद्राचार्य ने अपने शिष्यों को आदेश दिया कि अपना अर्द्ध वस्त्र त्याग कर पूर्व की भांति नग्न हो जाय और विशाखाचार्य के समक्ष प्रायश्चित लेकर पुन नग्न साधु की क्रियाओ का पालन करे । जिनको यह प्रस्ताव रुचिकर नहीं लगा उन्होंने जिनकल्प और स्थविरकल्प का भेद करके अर्द्ध फालक सम्प्रदाय का प्रचलन किया । ईसा की पांचवी शताब्दी तक यह अर्ध-फालक साधु सम्प्रदाय पहले की ही तरह नग्न प्रतिमाओं को पूजते थे । पांचवी शताब्दी के अंत में बलभी (गुजरात) मे अर्ध-फालक साधुओं का अधिवेशन हुआ । उसमे उन्होने अपने स्वतंत्र आगमों की घोषणा की । इस प्रकार श्वेत वस्त्र धारी अर्ध-फालक साधु श्वेताम्बर आम्नाय के कहलाने लगे और प्राचीन मुख्य धारा के नग्न साधु दिगम्बर रूप मे ही प्रचलित रहे । इसकी पुष्टि विश्व के धर्म ग्रन्थो और संदर्भ ग्रन्थों मे अनेक रूपो में की गई है । विश्व के मानक ग्रन्थों में दिगम्बरत्व की प्राचीनता संदर्भ ग्रन्थ एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका खण्ड-२५ ग्यारहवा सस्करण, सन् १९११ के अनुसार जैन दिगम्बर व श्वेताम्बर दो वडे समुदायों मे विभक्त हैं । श्वेताम्बर अल्पकाल से बमुश्किल ईसा की पाचवीं शताब्दी से पाये जाते हैं जबकि दिगम्बर निश्चित रूप से वही निर्ग्रन्थ हैं जिनका वर्णन बौद्धों की पाली पिटकों (धर्म ग्रन्थों) के अनेक परिच्छेदों में हुआ है और इसलिए वे ईसापूर्व ६०० वर्ष प्राचीन तो है ही । सम्राट अशोक द्वारा जारी राजाज्ञा के शिलालेख (२०) में निग्रन्थो का उल्लेख है । ___ भगवान महावीर और उनके प्रारभिक अनुयायियो की अत्यंत प्रसिद्ध बाह्य विशेषता थी-उनके नग्न रूप में भ्रमण करने की क्रिया, और इसी से दिगम्बर शब्द बना । इस क्रिया के विरुद्ध गौतम बुद्ध ने अपने शिष्यो को विशेष रूप से सावधान किया था तथा प्रसिद्ध यूनानी मुहावरा 'जिमनो-सोफिस्ट' (जैन सूफी) से भी यही प्रकट होता है । मेगस्थनीज ने ( जो चन्द्रगुप्त मौर्य के समय ईसा पूर्व ३२० मे भारत आये थे) इस शब्द का प्रयोग किया है । यह शब्द पूरी तरह निर्ग्रन्थों के लिए ही प्रयुक्त हुआ है । नग्न अथवा दिगम्बर सम्बोधन की पुष्टि श्री एच. एस. विल्सन अपनी पुस्तक 'एष्सेज एण्ड लैक्चर्स आन दि रिलिजन आफ जैन्स' मे लिखते है - जैन मुख्यतः दिगम्बर व श्वेताम्बर दो सैद्धान्तिक मान्यताओं में विभक्त है । इनमे दिगम्बर अधिक प्राचीन प्रतीत होते हैं और विस्तृत रूप में फैले हुए है । दक्षिण के सभी

Loading...

Page Navigation
1 ... 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125