Book Title: Anekant 1995 Book 48 Ank 01 to 04
Author(s): Padmachandra Shastri
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 109
________________ अनेकान्त/19 अहमिक्का गाथा 41, 42, 43, 78, 218 गाथा 36, 37, 38 (कर्ताकर्म में 5) जाणिऊण गाथा 20 गाथा 17 पृ 69 इक्को गाथा 32 गाथा 27 पृ 84 मुणइ गाथा 37 गाथा 32 पृ 90 हविज्ज · गाथा 38 गाथा 33 पृ 91 णाऊण · गाथा 40 गाथा 35 पृ. 95 परिणभइ · गाथा 85 गाथा 11 पृ 163 करिज्ज · गाथा 106 गाथा 31 पृ 195 भणिय 153 गाथा 75 ₹ 237 हवइ गाथा 151 गाथा 73 पृ239 जाणइ गाथा 153 गाथा 75 पृ 237 इक्कट्ट 295 गाथा 35 पृ410 मुणेयर 433 गाथा 95 पृ 581 सम्माइट्ठी गाथा 110 गाथा 8 पृ 320 पाठक विचारें । प्रश्न पाठो के लिये जाने का नहीं है अपितु इनके द्वारा उक्त आगम पाठों का बहिष्कार कर आगम पाठो को मिथ्या बताये जाने का है। और आगम को इस लॉछन से बचाने के लिए हम टिप्पण मात्र देने की बात करते रहे है और करते रहेगे। स्मरण रहे कि हमारा मन्तव्य मूल पाठ की भाषा से ही रहा है अन्य प्रयोजनो से नहीं। जैन जयतु शासनम् ।

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