________________
8०११
वीर सेवा मन्दिर का मासिक
अनेकान्त (पत्र-प्रवर्तक : आचार्य जुगल किशोर मुख्तार 'युगवीर')
| वर्ष-48 किरण-4
अक्टूबर-दिसम्बर 95 |
.. ............... 1. सम्बोधन 2. पंच परमेष्ठी-स्वरूप 3. श्रावक का स्वरूप
(आचार्या जैनमती जैन) 4. आगमों के प्रति विसंगतियां
(पद्मचन्द्र शास्त्री) 5. जैन परम्परा में परशुराम
(श्री राजमल जैन) 6. प्राकृत वैद्यक
(श्री कुन्दनलाल जैन) 7. सांख्य योग दर्शन में प्रतिपादित
अहिंसा पर जैनधर्म का प्रभाव
(डॉ. जयकुमार जैन) ...... .............
वीर सेवा मंदिर, 21 दरियागंज नई दिल्ली-110002