Book Title: Anekant 1995 Book 48 Ank 01 to 04
Author(s): Padmachandra Shastri
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 105
________________ अनेकान्त/15 19 सायाइ सग्गथे. । गा 21 20. भव्य कुमुदचन्द्रिका टीका 1/2, 1 2 21 डा मेहता मोहनलाल जैन आचार (पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध सस्थान जैनाश्रम, वाराणसी, सन् 1966 पृ83 22 (i) तत्त्वार्थसूत्र-7 | (ii) सागार धर्मामृत 2/80/ (ii) सवार्थ सि टीका 4/5 23 पञ्चसग्रह (भारतीय ज्ञानपीठ बनारस) 1/13, 134-135 24 तत्वार्थ वार्तिक (i) 2/5/8 पृ. 108 (ii) वही 6/12/7 पृ 5221 25. जीवकाण्ड (परमश्रुत प्रभावक मण्डल, आगास, सन 1972 गाथा 6-5 26 सागार धर्मामृत (श्रावकाचार सग्रह भाग-2 1/11 __ चारित्रप्राभृत,गाथा, 22 । 28 रत्नकरण्ड श्रावकाचार, 3/5 29 आचार्य पूज्यपाद सर्वर्थसिद्धि 9/45 पृ. 458 30 सागर धर्मामृत 1/2 31 वही 1/3 32 वही 1/15 33 वही सागार धर्मामृत, 1/16 34 वही सागर धर्मामृत 1/12 35 पञ्चविशतिका 1/13-14 36 उत्तरार्ध कारिका 724-728 37 सागार धामृत-2/2-3 38. यशस्तिलक चम्पू (उपासकाध्यययन), 8/879 39 पचविंशतिका 6/7 । 40 समण सुत्तं द्वितीय खंड 22, श्लोक 297 41 पंचविशतिका 1/12 6/89-90 43 गाथा-12 पर उद्धधृत । सिज्झइ तइयम्मि भवे पंचमए कोवि सत्तमट्ठमाए। भुंजिवि सुर-मणुयसुहं पावेइ कमेण सिद्धपयं ।। वसुनन्दिश्रावकाचार, गाथा 539 ।। प. आशाधर; सागारधर्मामृत, 8/111 एवं स्वोपज्ञ टीका। प्राकृत शोधसस्थान वैशाली (बिहार)

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