Book Title: Anekant 1995 Book 48 Ank 01 to 04
Author(s): Padmachandra Shastri
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 71
________________ अनेकान्त/29 हुआ है। इसलिए यह मानना अनुचित नहीं होगाकि जैन परंपरा में बहुचर्चित शब्द कल्पवृक्ष भी केरल में किसी समय जैनमतम् के लोकप्रिय होने का सकेत दे रहा है विशेष रूप से उस समय जब कि केरल तमिलगम् का एक भाग था । यहां यह उल्लेख करना भी उचित होगा कि नारियल आज भी जैन पूजा और विधि-विधान का एक अनिवार्य अग है। उसके बिना जैन मंदिर में पूजन की कल्पना नहीं की जा सकती। जैनो मे नारियल की एक प्रतीकात्मक व्याख्या भी की गई है। उसके बाहर जटाओं का जो घेरा है, वह सांसरिक जंजाल का प्रतीक है जो कि क्रोध, मान, माया, लोभ, हिसा आदि दुर्गुणो से भरा पड़ा है। उसको हटाने या प्रतीक रूप में नारियल को फोडने पर ही तो आत्मा अपने शुद्ध, निर्मल स्वभाव को प्राप्त कर सकता है। नारियल की श्वेत गरी इस शुद्ध आत्मा की प्रतीक है। इस फल के ऊपर आवरण मे तीन आंखे होती है जो कि जैन मत के अनुसार सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान और सम्यक चारित्र की प्रतीक है। ये तीनों ही तो मोक्ष पाने के मार्ग या उपाय हैं। सभवत. यही कारण है कि इस प्रतीकात्मक फल नारियल को संपूर्ण भारत में जैन पूजा, विधिविधान में सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। केरल मे सबरीमला की व्रतपूर्ण, अहिंसाव्रती यात्रा पर जाने वाले यात्री भी नारियल चढाते है और नारियल फोडकर प्रसाद ग्रहण करते हैं। अतएव केरल में नारियल को कल्पवृक्ष कहा जाए तो इसमे आश्चर्य की कोई बात नही है। उसके विभिन्न भाग केरलवासियों को मुद्रा कमाकर देते ही हैं। पर्यटन की दृष्टि मे भी केरल विशेष महत्व रखता है। कन्याकुमारी, कोल्लम समुद्रतट, पूरब कावेनिस आलप्पी, वायनाड के सुदर, सुगंधपूर्ण, हरे-भरे पर्वत, वहां पार्श्वनाथ का जेन दर्पण मंदिर और अन्य अनेक जिन मदिरन, चितराल गाव के पास की पहाड़ी पर चट्टानो मे खुदी हुई प्राचीन जिनेंद्र मूर्तियों ओर नागरकोविल का विशाल मंदिर जिसमे पार्श्वनाथ और महावीर उत्कीर्ण है विशेषकर जैन पर्यटको के लिए विशेष आकर्षण के स्थान है। केरल में आज भी जैनधर्म के अनुयायी हैं और जिनमदिर हैं। बहुसख्य जैन वायनाड जिलें मे और कालीकट, कोचीन जैसे बड़े शहरो में निवास करते है। केरल जैसे छोटे राज्य में नदियो की भी बहुतायत है। वहां इकतालीस नदियां पश्चिमी घाट से निकलकर अरबसागर में मिलती हैं जब कि तीन नदिया पूर्व की ओर बहती हुई कावेरी नदी में विलीन हो जाती हैं। सबसे बड़ी नदी भारतपुजा है जो कि २३४ कि मी लंबी है। केरल के ही कासरगोड जिले में जो कि कर्नाटक को छूता है, एक नदी है जिसका नाम है चंद्रगिरि। यह १०४ कि मी लंबी है और कर्नाटक के पट्टी वनों से निकलती है। इसी नदी के किनारे

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