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प्रस्तावना
४७ व्यक्त करने के सन्दर्भ में और (२) अपने कथन के साक्ष्य में । इनमें आशीर्वादात्मक श्लोकों में प्रस्तुत रचना के प्रेरक चौधरी देवराज के प्रति मंगल कामनाओं की अभिव्यक्ति हुई है। ये श्लोक सन्धियों के अन्त में आये हैं। इनकी संख्या दस है। आरम्भिक तीन तथा पाँचवीं और छठीं सन्धि के अन्त में एक-एक और चौथी सन्धि के अन्त में तीन तथा सातवीं सन्धि के अन्त में दो श्लोक अंकित हैं।
सन्धियों के मध्य में विषयों को और स्पष्ट करने के लिए नीति प्रद श्लोक आये हैं। इनकी संख्या इक्कीस है। ये प्रथम सन्धि में तीन, दूसरी सन्धि में सात, तीसरी सन्धि में सात, चौथी सन्धि में चार, पाँचवीं सन्धि में एक और सातवीं सन्धि में एक है।
श्लोकों की स्थिति निम्न प्रकार हैसन्धि- कडवक संख्या सन्धि के अन्त में कुल कमांक और श्लोक
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