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सप्तम परिच्छेद
[ ७-१४ ]
[ करमचंद के द्वितीय पुत्र जोजू का कौटुम्बिक परिचय एवं तीसरे पुत्र और पुत्रवधू का नामोल्लेख वर्णन ]
जू और साहाही दोनों के आन्तरिक योग से विश्व-श्रुत ( विख्यात ) पवनंजय और अर्जुन के समान तीन पुत्र हुए || १ || प्रथम (पुत्र) रावण ( था ) | उसकी अधिक प्रिय रामाही पत्नी हुई ||२|| उसके शरीर- गर्भ से चार पुत्र उत्पन्न हुए । सुरूपवान् पृथिवीमल पहला ( था ) || ३ || बहु स्नेह से अलंकृत (स्नेहवान् ), सुख-करनेवाली ( देनेवाली ) कुलचन्दही उसकी भार्या हुई ||४|| उसकी कुक्षि- क्रूख ( गर्भ ) से नये स्वर्ण के समान सुरूपवान् ( और ) गद्गद् ( आनन्दित ) कर देनेवाली वाणी बोलनेवाला कीर्तिसिंह उत्पन्न हुआ || ५ || इसके पश्चात् चन्द्रमा के समान निर्मल यशवाला चन्दु (और) अनुरंजन करनेवाली लूनाही ( उसकी ) प्रियतमा कही गयी है ||६|| उसका शुभ्र - शुभ लक्षणों से अलंकृत, जिसने पापियों को भी सुख दिया ( ऐसा ) मदनसिंह पुत्र ( हुआ ) ||७|| वीणा वादकों में श्रेष्ठ वीणकंठ अन्य ( तीसरे पुत्र हुए ) । मन को हरनेवाली पोपाही उसकी कामिनी (पत्नी) (और) नरसिंह उसका ज्येष्ठ तथा पिल्लु ( कनिष्ठ ) पुत्र लक्ष्मी के समान ( दोनों ) माता-पिता को प्रिय थे || ८-९ || इसके पश्चात् सौन्दर्य से मकरध्वज- कामदेव के समान लाडनु ( चौथा पुत्र ) (और) उसकी यश धारिणी वीवो पत्नी ( कही गयी है ) || १० | इसके पश्चात् जोजा ( जोजू ) का - अपने रूप-सौन्दर्य से जिसके द्वारा कामदेव जीत लिया गया, सारु ( नाम का ) दूसरा पुत्र ( और उसे ) अनुरंजित करनेवाली दोदाही – जिसके द्वारा शुभ- मरण किया जाने से स्वर्ग में जाया गया / स्वर्ग प्राप्त किया गया, पत्नी ( कही है ) ||११-१२ || जोजा (जोजू ) का अन्य तीसरा - पण्डितों के लिए हार स्वरूप लक्ष्मण नाम का श्रेष्ठ पुत्र, मल्लाही स्त्री और उसका - लोगों के मन को आनन्दित करनेवाला हीरू नाम का पुत्र ( कहा गया है ) ||१३-१४ ||
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२६७.
घत्ता - ( करमचन्द के ) तीसरे पुत्र का नाम ताल्हु कहा गया है । ( उसकी ) मनोहारिणी (स्त्री) वाल्हाही के दो पुत्र ( हुए ) उन्हें संक्षेप में कहता हूँ ।।७-१४॥
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