Book Title: Agamsaddakoso Part 4
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan

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Page 235
________________ ૨૩૪ आगमसद्दकोसो અંતર वेदिग [वैदिक वे संबधि वेब्भारपव्यय [वैभारपर्वत पर्वत ठा. ५४१; नाया. १४५; वेदिजमाण वेद्यमान वेहतो, भोगवतो वेभार [वैभार] पर्वत भग. ९,१०,१०२; भग. १३७.१८८; वेदिय [वेदितावेहेस, भोगवे वेभारगिरि वैभारगिरि मे पर्वत भग. ९,१०,१७,३६.१०२,४६६: नाया. १८.२०,२२: वेदिया [वेदिका] वंडी, मोटो वैभारपव्वय [वैभारपर्वत के पर्वत ठा. ९६.९७: नाया. २२: जीवा. १६३,१६५,१६७,१७५,२०९, २१० ।। वेमणंस /वैमनस हेन्य, हीनता थी २१२,२१७: पण्हा . ५,८: जंबू. ६; वेमाणिउद्देस [वैमानिकोद्देशक] 94041वेदियापुडंतर [वेदिकापुटान्तर] पेवेविथ्येनु | ભિગમ સૂત્રનો એક ઉદ્દેશો भग. १३९ जीवा. १६३; वेमाणिणी वैमानिकी वैमानि तिनी हेवी वेदियाबाहा [वैदिकाबाहु/वेदिानी बारा भग. ४८२,६०५; जीवा. १६३; पत्र. २८८.३०६,४५२,४५७,४९९: वेदिस [वैदिश] विहिशा तनुं नगर वेमाणिय [वैमानिक वितानी मे ad, मार अनुओ. २५१ દેવલોક-નવ રૈવેયક-પાંચ અનુત્તર વિમાનમાં वेदेंत वेदयत्वे.ते, भोगवते વસનારદેવો __ भग. ९४० ठा. ५१.६९,७५,७९,८५,९९,१०७,१२९. वेदेजमाण वेद्यमानावेहतो, भोगवतो १३२,१३४.१४०,१४६,१४७,१९४,२३९, ठा. ८९२: २६३,२६४,२६८,३३८,३६७,४००,४०२, भग. ९.१०.१०२,४६६; ४२९.४५७.४६१.५८७.७०१.९६१.९६५; वेदेमाण [वेदयत्वेहतो, भोगवतो सम. ६३.१४०.१८३,२३४,२५२ थी २५४; भग. ४८,२७३.६७०.६७२.७२९: भग.२२.२६.२७.३५,४४,६८,७१,८०. उव. ४४: राय. ६५: ८१.९१,९५,१३९,१४०.१५६,१६३,१७५, पत्र. ५४८,५४९: २२४,२२६.२२९,२३५,२४२,२५३. वेदेह [वैदेह] से मनुष्यति २६०,२६३.२६५,२६६,२६८,२८१,२८८, ठा. ५४१: ३१५.३२१ थी ३२३,३२८.३३४.३४३, वेदेहि वैदेहि विटे-संबंधि ३४४.३४८ थी ३५०,३५५ थी ३५८, सूय. २२६: ३६२.३६७.३६८,३८३.३८६.३८९. वेधादिय [वैधादिक भासा वगैरेथा विधवा आदि ३९१.३९२.३०.९.४०४.४०९,४२५. सूय. ४५३: ४२६,४३५.४५१.४५२.४५६ थी ४५८. वेन्ना बन्ना] मे नही ४८२.५३९.५४३.५८५.५४६,५५१. अनुओ. २५१: ५५४,५५५.५५८.५५९,५६१,५६७.५८५. वेन्नायड वेत्रातट] से नगरी ५९८ थी ६०४,६१२ थी ६१७.६३२, ६६४ अनुओ. २५१: थी ६६६,६६९,६७०.६७४,६७७, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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