Book Title: Agamsaddakoso Part 4
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan
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૪૨૨
आगमसद्दकोसो
जीवा. १८५ पन्न. १६१,३७८ः जंबू. ३७,४९: सियालखइया [श्रृगालखदिता] शियानी भाई
ભોજન મેળવવામાં આવે તેવી પ્રવજ્યા
ठा.३८२: सियालग [श्रृगालक] शियाण
नाया. ६२: सियाली श्रृगाली शियाली
पन्न. ३७८; सिर (शिरस् मस्त
आया. ५३५, सूय. ३०४,३३४; ठा. २९७,४८१,५०४,६३६,९५४; सम. २४,११०: नाया. १८,३७; पहा. १५,१६; उव. २७,३४; राय. २०.२३,५४: जंबू. ४६: तंदु. १९,७१,१०२, दसा. ९५,१००,१०३; आव. ३४ः दस. ४२२,४२६; उत्त. ६१०.६६३,७७१,८०६,९३२ः नंदी. ३१.३६: अनुओ. १९६; सिरय [शिरस्का माथा-बस्तर पण्हा. १९; उव. ३१; पन्न. २२६; जंबू. ३४,५६,६१:
दसा. १०१ सिरय [शिरोजमाथाना वाम
पण्हा. १९; उव. १०,२६; राय. २९:
जीवा. १६७,१८५: सिरवत्थि शिरोवस्तिमाथाiiuainने રાખવાની ચર્મમય કોથળી
विवा. १५: सिरस् [शिरस्] मस्त
भत्त. ४७: देविं. ४; सिरसावत्त [शिरसावत मस्त 43 भापतन
કરવું તે भग.११६.१५६,१६३,१७२,१७६,३३४, ३७२,३७३.३७५,४६०,४६३,४६५,५०६, ५१८,५२०,५२३,५३५,५८७,६२६,६५७;
नाया. १२ थी १५.१७.१९.२०.२२,२५.३३, ४०.६४.६५.६७.७१,८६ थी ९३,९८, १०३. ११२.१२४.१४७ थी १५२,१५७, १५९,१६२.१६५.१६९,१७०.१७२,१७३,
१७६. १८४.१८६.२१४,२१८.२२०; उवा. ११.४५: अंत. १३,२०: विवा. ९.२२,२३,२५,३०,३३: उव. ११.१२,२८,३०.४९; राय. ५.८,१०,१२,१५,२३,४१.४४; जीवा. १७९,१८० जंबू. ५६.६०.६१,६७,७३ थी ७७,७९.८४.
९०,९६,१०१,१०३,१०५: निर.१०.१२.१५.१७.१८ः पुष्फि.८;
पुष्फ. ३: वहि . ३:
बब.३३; दसा. ९५,९६,९८,१०० सिरसिज [शिरसिज] भाथाना वाण
जंबू. १०१: सिरा [शिरानस
तंदु. ९,१९,१०२ सिरावत्थी [शिरोवस्ती] हुमो सिरवत्थि'
नाया. १४७: सिरोवेध [शिरोवेधा मस्त छन
नाया. १४७; विवा. ९; सिरि श्री] सक्ष्मी, संपत्ति, शोमा, पनी
અધિષ્ઠાત્રી દેવી, વિશેષ નામ सम.८०,३१५ भग. १७२,३४५,५२२,६४०.६५५: उवा. २१.२३,२४,३०,३३,३५.४७; अनुत्त.१०.११%; पण्हा.१६.१९: जंबू. ३२,३४,१२८,२२५,३६४ संथा. ७०:
वीर. ३८,४३: . सिरिकता [श्रीकान्ता वा431, मे १९४२ પત્ની ठा. ६५१:
सम. २६२, विवा. ४५,४६; जीवा. १९१; जंबू. १५६,१९४;
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