Book Title: Agamsaddakoso Part 4
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan
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(सुत्तंकसहिओ)
૪૫૭
सुभोगा [सुभोगा मे मारी
ठा. ७७८; जंबू, १६५,२१३; सुभउय [सुमृदुक] घjोभन ।
भग. ५१८; . नाया. १५; सुमज्जिय [सुमजित] सारी शस्नान ४३८५
उत्त.६४८; सुमज्झ [सुमध्य] अत्यंत वय्ये राय. २९;
जीवा. १६७; सुमण [सुमनस्] सारा मनवायो, पुष्प, ४२॥નેન્દ્રના સોમલોકપાલનું એક વિમાન, નંદીશ્વર સમુદ્રનો અધિષ્ઠાતા દેવ, રૂચક સમુદ્રનો અધિષ્ઠાતા દેવ आया. ४५५,४५९; सूय.४६७,६५८,६६७; टा. १६८,१७३; भग. २०८; अंत. १३;
जीवा. २९५,२९९; देविं. १८१;
दसा. ३५; अनुओ. ३३५; सुमणदास /सुमनोदामन्] सनी भाग। राय. ४२,
जीवा. १७९,१८०; जंबू. १२२,२३९,२४१,२४३; सुमणभद्द [सुमनोभद्र] अरु समुद्रनो विता,
"अंतसा " सूत्रनु अध्ययन अंत. २३,३६, जीवा. २९७; सुमणसा [सुमनसा] वेसर्नु नाम
पन्न. ६१; सुमणा [सुमनस्] नामारेन्द्रना भुतानहना કાલવાલલોકપાલની એક પટ્ટરાણી, શકેન્દ્રની અગ્રમહિષીની રાજધાની “અંતકૃદસા” સૂત્રનું એક અધ્યયન, વિશેષનામ ठा. २८७;
सम.३०९; भग.४८९
अंत. ४१; जंबू. १६१,१७८ सुमणा सुमनसीभननी सुषिततानामावવાળી
जीवा. १९९,२९४; सुमर [स्मृसंभारगुं, या
सम. १०९;
भग. १६१; नाया.३७;
दसा.४; सुमरइत्तु /स्म या २नार
सम. ११; सुमरण [स्मरण] या ते __ महाप. ५०; सुमरणमेत्त [स्मरणमात्र] स्मर। मात्र
भत्त.८८; सुमरणीय [स्मरणीय] या ४२वा योग्य
चउ. २७; सुमरिउं [स्मर्तुम्] या ४२वा माटे
पण्हा. ४३; सुमरित्तए स्मर्तुम्] या ४२वा माटे
सम. १४; सुमरित्ता स्मृत्वा] या अशने
नाया. ३७ सुमह /सुमहत्] मतिशय भोट
सूय.७६६,७८०; उत्त. ३५६; सुमहग्य [सुमहाघ jमती, मति भूक्ष्यवान नाया. १५; उव. ३१; जंबू. ५६,१९४; दसा. ९९; तंदु.७१; सुमहम् [सुमहम्] घu महिमावाणु
महानि. १५२४; सुमहत्थ [सुमहत्थ] घgi ४ महानमधीसभर
महानि. १; सुमहल्ल [सुमहत्] अति भो?
भग. १७१; सुमहासमुप्पन सुमहासमुप्पन्न] ujभोपनयेत
महानि. १४८३; सुमहुर सुमधुर] मति मधुर । नाया. ४६; अंत. १३; विवा. ३१;
पुष्फि .८; सुमिण [स्वप्न] स्वप्न, स्वप्नावस्थामा यता સંકલ્પ-વિકલ્પ, સ્વપ્નનું શુભાશુભફળ કહેવું તે, સ્વપ્ન સંબંધિ શાસ્ત્ર टा. ९६१,९७५; सम. १४,६३;
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