Book Title: Agamsaddakoso Part 4
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan
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૪૫૬
आगमसद्दकोसो
जीवा. १०५,१६१,१६४,१६५; पन्न. १२६,१५०; सूर. १९६; जंबू. १२८,१२९,२४४,३४४; सुभगंध [शुभगन्ध] विविमान
सम. २; सुभगजोणिय [सुभगयोनिक] सौमाययुत યોનિ, કમળ જેવી યોનિ सूय. ६८७; सुभगत्त [सुभगत्व] 'सुम५j
सूय. ६८६; पत्र. ५९१; सुभगनाम [सुभगनामन्] नामभनाई अत्ति જેના ઉદયે સૌભાગ્યપણાની પ્રાપ્તિ થાય છે તે सम.६२,११८,१२९; पन्न.५४०,५४१% सुभगा /सुभगा भूतव्यतरनान्द्र सुरपनी से પટ્ટરાણી, એક નામક એક વેલ ठा. २८७; भग.४८९; नाया. २२९; पन्न. ६०; जंबू. १६५,२१३; सुभगाकर सुभगाकर] हुमा मास सुमागी થાય તેવી એક વિદ્યા
सूय. ६६४; सुभचक्खुकंत शुभचक्षुःकान्त विमान
जीवा. २९८ सुभजोग [शुभयोग] सारा योग
पहा.४५, सुभत्त [शुभत्व] शुभपy
भग. २८० सुभद्दा [सुभद्रा पसीन्द्रनse सोभनी પટ્ટરાણી, વૈરોચનેન્દ્રની એક પટ્ટરાણી, એક કાયોત્સર્ગ પ્રતિમા, નાગકુમારેન્દ્ર ભુતાનંદના કાળવાળલોપાલની એકપટ્ટરાણી “અંતકૃદસા સૂત્રનું એક અધ્યયન, કેટલાંનું વિશેષનામ ठा.८४,२६५,२८७,४२६; सम. ३२०,३२६; भग. ४८९; अंत. ४१
पहा. २०; विवा. १२,१५,१६,४२,४३;
उव. २९,३०,३३,३४,४३; जीवा. १९१; जंबू. ४४,१०१,१०२,१६१; पुप्फि .८;
पुप्फ.३, सुभनाम [शुभनामन्] नभनी में प्रकृत्ति જેનાથી શરીરના શુભ અવયવો પ્રાપ્ત થાય છે ठा. ११३;
सम. १००,११८; भग.४२७;
अनुओ. १६१; सुभफास शुभस्पशी सुपा स्पर्श
सम. २ सुभय शुभक] मो ‘शुभ'
वण्हि . ३; सुभय [सुभग] मो 'सुभग' भग.५४७;
पन्न.७७; सुभलेस [शुभलेश्य] मे पविभान.
सम.२; सुभवण्ण [शुभवणी तुमओ 6५२'
सम. २; सुभविवाग [शुभविपाक] भन। शुमण,
विवागसूय' मनो श्रुतसंघ ठा. ३९३; सुभा शुभा] २भएय वि४यनी भुण्य नगरी, વૈરોચનેન્દ્રની અગ્રમહિષી ठा. ९६,७४९; जंबू. १७६; सुभाविय [सुभाविया सारीश मावित
उव. ४१ थी ४३; सुभासिय [सुभाषित] सारी शत गोदास, सुंदर રીતે કહેલ
पण्हा. ३६; उव. ४१ थी ४३; .दस. १५,४३१,४६९;
उत्त.७६३,८४३, सुभूतिभाग [सुभूमिभाग] धान ठा.८७२,
भग. ६५७; नाया. ५५,५७ थी ५९,६६,६८,६९,७५,
१५८,१५९,१६५,१६६; सुभेरव [सुभैरवा मतिमयं5२ उत्त.६६७;
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