Book Title: Agamsaddakoso Part 4
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan

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Page 500
________________ (सुत्तंकसहिओ) सोयणवत्तया [ स्वप्नप्रत्यया] स्वप्न निमित्ते લાગતી ક્રિયા-થતો કર્મબંધ आव. १७; सोयधम्म [ शौचधर्म] वारंवार हेरशुद्धि स्वाइप માન્યતાવાળો ધર્મ, શૌચ-સ્વચ્છતારૂપ ધર્મકે જે બ્રાહ્મણો માને છે नाया. ६७,९२; उब. ४८; सोयप्पहाण [ शौचप्रधान] मां हेरशुद्धिजाह्य સ્વચ્છતાની મુખ્યતા છે તે उवा. ३; सोयमय [शोकमय ] शोऽयुक्त तंदु. ४२; सोयमाण [ शोचत्] शोड खोते, शुद्धि रखी ते भग. ४६४; नाया. ३१,१११, १२५, १३९,२०८; अंत. १३; निर. १५; सोयमूलय [शौचमूलक] हेरशुद्धि से जाह्य સ્વચ્છતા જેનું મૂળ છે તેવો ધર્મ नाया. ६७,९२; सोयर [सोदर ] सोहर, लाई जन सूय. १८४; सोयरिय [शौकरिक] सुवर-डुरनो शिर કરનાર, શિકારી ठा. ३३७,६२१; विवा. २३; सोरिय [सौदर्य] पण्हा. ८; अनुओ. १८१; "सोयर" उत्त. ४७४; सूय. ५,६६३, सोयविन्नाणावरण [श्रोत्रविज्ञानावरण] श्रोत्रन વિજ્ઞાનને આવરક કર્મવિશેષ पन्न. ५३९; सोयविय [ शौच] पवित्रता आया. २०७ सूय. ६४७, ६६५; सोयामणी [सौदामनी] विद्युतभारी जेड हेवी हे ભગવંતના જન્મ મહોત્સવ સમયે હાથમાં દીવો લઈને ઉભી રહે છે, વિજળી नाया. २२६; जंबू. ७३; उत्त. ८०३; Jain Education International ૪૯૯ सोयार [श्रोत] सांगनार महानि. ८४२; सोयावणया [ शोचन] शोयराववो ते, सुरगा કરાવવી તે भग. १८१; सोयावरण [श्रोत्रावरण] श्रोत्रने खावर दुर्भ पन्न. ५३९; अनुओ. २३८; सोर [सौराष्ट्र ] सौराष्ट्रमां उत्पन्न अनुओ. २३८; सोरट्टिया [सौराष्ट्रका] इटहरी, तुरी भाटी आया. ३६७; दस. १०९; सोरिक [शौरिक] नामनुं डुशावर्त हेशनुं मुख्य નગર, તે નગરવાસી पन्न. १६८; सोरिय [सौरिक] खेड नगरी, खेड यक्ष विवा. ३२; ठा. ९६८; सोरियपुर [ शौरिकपुर ] खेड नगर उत्त. ७९७,७९९; विवा. ३२; सोरियवडेंसय [शौरिकावतंसक ] सेनामनुं खेवन કે એક ઉદ્યાન विवा. ३२; सोलस अंगुलजंघाक [ षोडशाङ्गुलजङ्घाक] सोण અંગુલ પ્રમાણ જંઘા जंबू. ८१; सोलसक्खुत्तो [ षोडशकृत्वस् ] सोणवत भग. १०४६; सोलसग [षोडशक] “सूयगड" सूत्रनुं सोणमुं અધ્યયન, સોળનો સમૂહ पन्न. १९७, १९८; जीवा. ८०; सोलसभत्त [ षोडशभक्त ] सात उपवास साथै કરવા उब. १९; सोलसम [ षोडश ] सात उपवास साथै हुवा ते, સોળમું માંડલુ ठा. ५७५; भग. ११४, ७१६, ७२७,७७७; For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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