Book Title: Agamsaddakoso Part 4
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan
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૪૭૨
"संत हसा" सूत्रनुं खेड अध्ययन, વિશેષનામ
ठा. ९६, ७३८,७४९;
सम. २६९;
जंबू. १७६; सुसील [सुशील] सारशील - यारित्र
सूय. ६७०, ६७१,८०४;
ठा. १५८, १७४;
उव. ५१;
उत्त. ८०३;
अ.नंदी. १;
सुसीस [ सुशिष्य ] सारो - विनीत येलो
अंत. १८, २१;
जंबू. ८१;
सुसुइ [सुश्रुति] सारी श्रुति
उव. ४१;
सुसुञ्ज [सुसूर्य]पांथभांहेवलोऽनुं खेड हेवविभान
सम. १३;
सुसूर [सुसूर] श्रीभ - थोथा हेवलोडनु खेड हेवવિમાન
सम. ५;
सुसूर [सु + सूर्] सारो स्वर डाढवो
नाया. १७८;
सुसूरेत्ता [सुसूर्य] सारो स्वर अढेस
नाया. १७८;
सुसेण [सुषेण] भरत यवर्तीनी थडी सेनानी
સેનાપતિ રત્ન
विवा. १८, १९, २१;
जंबू. ७६,७७, ८१, ८३, ८४, ९५, १०४, १२०; सुसेणा [सुषेणा] भेरनी उत्तर रस्तवती महा
નદીમાં મળતી એક નદી
ठा. ५१३, ९०४;
सुसेह [ सु + सेध] सारी रीते सिद्ध 5
सूय. १९०;
सुस्समण [सुश्रमण ] उत्तर साधु
आया. ५४४;
सुस्सर [सुस्वर] नाभिर्भनी खेड प्रकृति - शेनाथी કર્ણપ્રિય અવાજ પ્રાપ્ત થાય, એક દેવવિમાન
पहा. १९, ४३, ४५; राय. २९; जीवा. १६७, १८५;
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जंबू. ३४, २३६,२३८; सुस्सरघोस [सुस्वरघोष ] खेड हेवविभान जीवा. १६७;
राय. २९;
सुस्सरनाम [सुस्वरनामन्] दुखो "सुस्सर"
सम. ६२, ११८;
सुसरनिग्घोस [सुस्वरनिर्घोष ] भेड हेवविमान जीवा. १८५;
सुसरा [सुस्वरा ] सूर्याल विभाननी घंटा, ६ધિકુમારની ઘંટા, ગંધર્મેન્દ્ર ગીતરતિની એક પટ્ટરાણી, એક દેવી
आगमस
ठा. २८७;
नाया. २२५;
सुरसवण [सुश्रवण] सभ्यश्रवाएग
भग. ४८९ :
राय. १२;
पण्हा. १९;
उव. १०;
सुस्सुयाइत्ता [सूत्कार्य] 'सुसु' जेवो जवान उरतो
ઇચ્છવું
आया. १९२;
उत्त. १०६५;
सुस्सूस [शुश्रूष्] सेवा लस्ति रवी, सांभजवाने
दस. ४३१, ४७१;
नंदी. १५७;
सुस्सूसग [ शुश्रूषक] सेवालस्ति डरनार
भग. ४०३;
सुस्सूसणया [ शुश्रूषणा] शुश्रुषा सेवा - भक्ति કરવી તે
भग. ७०५;
सुस्सूसणा [ शुश्रूषणा ] गुरुनी सेवा लङित, સાંભળવાની ઇચ્છા
भग. ९६५;
सुस्सूसणाविनय [सुश्रूषणाविनय ] धर्शनविनयनो એક ભેદ–ગુરુ આદિની સેવા કરવી તે
उब. २०;
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सुस्सूसमाण [सुश्रूषमाण] सेवालस्ति उरतो, સાંભળવાને ઇચ્છતો
आया. २०७;
सूय. ४६९, ६४७, ६६५;
भग. ९, ११२, १५५, २२९, ४६१,५०८,५२८, ५३५,६३४,६३८;
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