Book Title: Agamsaddakoso Part 4
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan
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(सुत्तंकसहिओ)
કરાયેલ ક્ષેત્ર
सम. १५०;
सूरचरिया [ सूरचरिका ] सूर्यनी यास भगवानी વિદ્યા
सूय. ६६२;
सूरज्झय [सूरध्वज] त्रीभ-योथा हेवलोडनुं खेड દેવવિમાન
सम. ५;
सूरण: [ सूरण] खेड भतनो ध
उत्त. १५६२;
सूरणकंद [ शूरणकन्द] सो उपर
भग. ३४७;
पन्न. ८९;
सूरत्थमण [सूरास्तमयन] सू२४नुं खाथभवु - अस्त થવું जंबू. ४९;
जीवा. २९;
सूरत्थमणपविभत्ति [ सूरास्तमनप्रविभक्ति] खेड
દેવતાઈ નાટ્ય વિશેષ
राय. २४; सूरदह [ सूरद्रह] खेड द्र
ठा. ४७२;
सूरदीव [ सूरद्वीप ] खेड द्वीप
जीवा. २०९, २१०, २११,२१७; सूरद्दीव [ सूरद्वीप ] जेड द्वीप
जीवा. ३००;
सूरपन्नत्ति [ सूरप्रज्ञप्ति ] खेड (अपांग) आगम सूत्र
जंबू. २७७; जो. नंदी. १;
ठा. १६०,२९१; नंदी. १३७;
सूरपमाणभोइ [ सूरप्रमाणभोजिन्] सूर्य उगे ત્યારથી આથમે ત્યાં સુધી ખા-ખા કરનાર, અસમાધિનું એક સ્થાનક
दसा. २;
सूरपरएस [ सूरपरिवेश] सूर्यनी आसपासनुं हुंडा जीवा. २८७;
सूरपरिवेस [ सूरपरिवेश] दुखो 'पर'
भग. १९४; अनुओ. १६३;
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जीवा. १८५;
सूरपव्वत [ सूरपर्वत] खेड वक्षस्डार पर्वत टा. ९६,३२१,४७२,७४९,९९१;
सूरपव्यय [सूरपर्वत] दुखो '५२',
जंबू. १८७, १९०;
सूरप्पभ [ सूरप्रभ] श्रीभ थोथा हेवलोऽनुं खेड દેવવિમાન, સૂપ્રભા દેવીનું સિંહાસન
सम. ५;
नाया. २३५;
सूरप्पभा [सूरप्रभा ] भ्योतिष्डेन्द्र सूर्यनी खेड અગ્રમહિષી
ठा. २८७;
भग. ४८९;
सूर. १२६;
जीवा. २०९,३२१; सूरप्पमाणभोइ [सूरप्रमाणभोजिन्] दुखो “सूरपमाणभोइ"
सम. २७८;
नाया. २३५;
सम. ५०;
सूरमंडल [ सूर्यमण्डल] सूर्यना मांडला, सूर्य वियरए
માર્ગ
सम. २६,१२६, १४३; पण्हा. ३६;
४८१
राय. १५; जंबू. २५२ थी २५७,३४०;
देविं. ८८;
जीवा. १६४, १८५;
सूरमंडलपविभत्ति [ सूरमण्डलप्रविभक्ति ] as દેવતાઈ નાટ્ય વિશેષ
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राय. २४;
सूरलेस [सूरलेश्य ] श्रीभ - थोथा हेवलोडनुं खेड દેવવિમાન
सम. ५;
सूरस्सा [सूरलेश्या] सूर्यनी प्रभा
सूर. ११५; चंद. ११९; सूरवडंस [ सूरावतंसक] खेड हेवविभान सूर. १२६; चंद. १३०;
'सूरवडेंसय [सूरावतंसक] लुखो 'उपर'
जीवा. ३२१;
सूरवण्ण [सूरवर्ण] खेड हेवविमान
सम. ५;
सूरवर [ सूरवर ] प्रधान सूर्य सूर. १९३;
चंद. १९७;
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