Book Title: Agamsaddakoso Part 4
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan
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(सुत्तंकसहिओ)
४६१
શ્રુત આશ્રિત વ્યવહાર તે
उत्त.४०२, जीय. ३७;
सुयाणुसार [श्रुतानुसार] श्रुतने मनुसरीने सुयविंट [शुकवृन्त/त्रए। छन्द्रियवानो मे ७ वीर. ४ पन्न. १५०;
सुयात [सुजात] सारी शते Gत्पन थये, सारी सुयविनय [श्रुतविनय] श्रुतनो भा६२-मान રીતે જન્મેલ કરવો તે
जंबू. ८१; दसा. १४;
सुर [सुरव, वैमानि देवता सुयविसिट्टया [श्रुतविशिष्टता] श्रुतनी विशेषता आया. ५२६ थी ५२९; पत्र. ५३९;
सम. २२०,२२१,२२३,२२५,२८२; सुयविहीणया [श्रुतविहीनता] श्रुत रहित५j नाया. १२,९९,२२०; पत्र. ५३९;
पण्हा .१९,२३, पन्न. २४९,५७६; सुयसंपदा [श्रुतसम्पदा] श्रुत३५ संपत्ति, 108 जंबू. ८५;
महाप.६०; પ્રકારની સંપદામાંની એક સંપદા
भत्त.६८;
संथा. १४; ठा. ७०६;
देविं. ७९,८०,३०७; दस. ४२८; सुयसंपयाय [श्रुतसम्पदाय] श्रुत३५ संपत्ति भाटे उत्त. ३९५,१२४१,१४३३,१६७४,१६७८, महाप.८५
१६७९;
नंदी. ३; सुयसमास [श्रुतसमास] श्रुतनो संक्षेप
सुरइ सुरतिसुष सम. ३८३;
राय. २३,३१% सुयसमाहि श्रुतसमाधि] श्रुत शानभादीनवुते || सुरइत [सुरचित सारी शते स्थj दस. ४७१,४७६,४७८;
सम. ३२७; सुयसमिद्ध [श्रुतसमृद्ध श्रुतव समृद्ध
सुरइय [सुरचित सो 6५२' महाप. २६ गच्छा . १;
पण्हा. १९;
उव. २४; सुयसमुद्द [श्रुतसमुद्र] श्रुत३पी सागर
पन्न. २१७; गच्छा .१%3
सुरंग [सुरङ्ग] भीननी हरनो माग सुयसहायता श्रुतसहायता] श्रुतभासाय थयुते | ___ महानि. १५०७; भग.७०५;
सुरक्खिय [सुरक्षित सारी शते २१ए। राये। सुयसागर [श्रुतसागर] श्रुत३५ समुद्र ।
सूय. २५१; पण्हा. ३९; सम. ३७६; पहा. ३३;
दस. ५४०;
उत्त. ३५३; सुयसागरपारग श्रुतसागरपारग श्रुत३पी सा२- | सुरगण [सुरगण व समुह ના પારગામી
सम. २२७;
देविं. २४३,२९४; संथा. ८१;
सुरगणइड्डि [सुरगणऋद्धि] हेक्समु३५ द्धि सुयहर [श्रुतधर] श्रुतने धा२९। ७२नार
देविं. ३०३; चउ. ३२;
सुरगति [सुरगति हेवनी गति सुया सुतारी, पुत्री
सम. २२७; नाया. २१२; भत्त. ११३; सुरगोव [सुरगोप] छन्द्रगोप मनोमेडीओ पिंड. ५०८; उत्त. ५७३;
नाया. ११५; सुया सुच] 46५४२९। विशेष
सुरट्ट [सौराष्ट्र/सौराष्ट्र - माहेश
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