Book Title: Agamsaddakoso Part 4
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan
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४४०
आगमसद्दकोसो
तंदु. ४१;
पन्न. ४४१,४५० थी ४५२,४६३ थी ४६९; सुक्कलेस शुक्ललेश्य] शुसाश्यावाणो || सुक्कलेस्सापरिणाम [शुक्ललेश्यापरिणाम]शुसठा. ५१,६६२, भग. १८७;
લેશ્યાનું પરિણમવું તે जीवा. ३९२;
पन्न. ४०७;. पन्न. ४५५,४५९,४७०,५४५;
सुक्कवसिय शुक्रावतंसकाविलोमध्य-सह अनुओ. १६१;
__पुष्फि. ५,७; सुक्कलेसट्ठाण शुक्ललेश्यास्थान सवेश्या-स्थानो || सुक्कवेमाण [शोषयत्] सुपj ते पन्न. ४६८;
नाया. ७४; सुक्कलेसमोगाढा [शुक्ललेश्यमवगाढ] शुरु | सुक्काभ [शुक्राभाseोsilds विमान લેશ્યાયુક્ત
भग. २९५; आउ. ४२;
सुक्काभिजाइय [शुक्लाभिजात्य]मति स्व२७ थयेत सुक्कलेसा [शुक्ललेश्या अतिशुद्ध परिएम, छ भग. ६४८; લેશ્યામાની ઉત્તમ વેશ્યા
सुक्काभिजातीय [शुक्लाभिजात्य] हुआओ. 6५२' ठा. १४०,२३५,५५५;
भग. ४०३ सम.६,२४९ पण्हा. ३९;
सुक्काभिजाय शुक्लाभिजातामो ७५२' जीवा. १३१; पन्न.४५२,४६७; भग. ६३५; महाप.७२; संथा. १३;
सुक्किल [शुक्ल] १३, धोj देविं. १९२; आव. २४;
भग. १०७,३१८,३८३,३८५,३८६,४३२, उत्त. १३८५,१३९१,१४१४,१४२१,१४२८, ५४६,६७९,६८०,७५५,७८६; १७२१;
नाया. ५९,१७६,१८५; पण्हा. १५; सुक्कलेस्स [शुक्ललेश्यामो 'सुक्कलेस'
उव.५
राय. १५,२७,२९; भग.२२,२७,३४८,३९४,५६६,५६७,७२२, जीवा. ५,१४,५०,८७,९०,१६४,१६५, ७२४,९७६,९७९,९८०,९९८,९९९,१०६४, १६७,१६९,१७३,१७५,१८५,३३०,३३२; १०६५,१०६७,१०७३,१०७४,१०७८; पन्न. १३,३०८,३०९,३२४,३९१,४१२, जीवा.१३५
४९८,५०२,५०३,५४०,५४१; पन्न. २७०,४०७,४५०,४५३,४५५,४५७ थी सूर. १९५; चंद. १९९; ४५९,४६१,४७०,४८०,५४५,५६२;
जंबू. ६,३२,५३,६२,१२९,१४३; सुक्कलेस्सट्ठाण शुक्ललेश्यास्थान] शुसासेश्या- देविं. १९३,२५१,२५४,२५८; ના સ્થાનો
उत्त. १४८०,१४९०,१५३६; पन्न. ४६८;
अनुओ. १५१,३०१, सुक्कलेस्ससत [शुक्ललेश्याशताश-विशेष सुक्किलग [शुक्लक] १३६, धोj भग. १०६७;
भग. ७८६; जीवा. १६४; . सुक्कलेस्सा [शुक्ललेश्या हुमो 'सुक्कलेसा' सुक्किलत [शुक्लत्व] श्वेत५j भग.२९,९५,२८६,४४७,४५०,५४३,५६७, __भग. ७०२;
७०१,७७०,७९२,८३९,८५६,९१९,९४७, सुक्किलपत्त [शुक्लपत्राभे यतुरिन्द्रिय 94 १०६७,१०७२;
पन्न. १५१; पण्हा. ३९; जीवा. ३३२; || सुक्किलमत्तिया शुक्लमृत्तिका] १३८ भाटी
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