Book Title: Agamsaddakoso Part 4
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan

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Page 449
________________ ४४८ आगमसद्दकोसो चंद. ४०; सूर. ३६; जंबू. ४३,६७,१५१,१५९,१६२,१८३,२०३, ३६४; . पुष्फ. ३; देविं. १८१,२७८; दस. ५२३, सुदंसणभद्दसालवन [सुदर्शनभद्रशालवन] थे। વન-વિશેષ जंबू. २३९; सुदंसणसेहर [सुदर्शनशिखर शि५२-विशेष महानि.८१६; सुदंसणा [सुदर्शना] पद तीर्थ२नी अवश्य પાલખીનું નામ, ધરણેન્દ્રના લોકપાલકાલની એક પટ્ટરાણી, પશ્ચિમ દિશાના અંજનક પર્વતની એક વાવડી, પિશાચેન્દ્ર કાળની પટ્ટરાણી, જંબુદ્વીપના જંબૂવૃક્ષનું અપર નામ, વિશેષનામ आया.५११, ठा.८६,२८७,३२९,७४७,९८४; सम.८,२७७,३२६; भग. ४८९; नाया. २२९; पण्हा. ३९; जीवा. १९०,१९१,१९४,२२३,२९४; जंबू. १६०,१६१; उत्त. ३५४; सुदक्खुजागरिका [सुदृष्टजागरिका] सभ्यत्वनी શુદ્ધિ માટે જાગવું, ધર્મજાગરણનો એક ભેદ भग. ५३१,५३२; सुदत्त [सुदत्त] सारी शते अपाये विवा. ३७; सुदरिसण /सुदर्शन] सुशन नामे यक्ष विवा. २९; सुदारुण [सुदारुण पंडाल पण्हा . ८; सुदिट्ठ [सुदृष्ट] सारी शते येत अथवानिएय કરેલ सम. २२१; पण्हा .३६, पन्न. १८८; उत्त. ३९७,११०३; सुदीह [सुदी) arjeij पण्हा. १५ सुदुक्कर [सुदुष्कर] अति ४२ उत्त. ६४२ थी ६४४,६५२,६५३; सुदुक्खिय [सुदुःखित] घugी उत्त. ८१०; सुदुचर [सुदुश्चर] भुश्तीथी आयरी शायते उत्त. ५९२; सुदुत्तार [सुदुस्तार भुमीथी तरी शयतेवू सम. २२७; पण्हा. १६; उव. २१; सुदुल्लभ [सुदुर्लभ तिन नाया. २०९; विवा. १८; सुदुल्लह [सुदुर्लभमति न जंबू. ८६; दस. २२३; उत्त. २२३,५३९,७२३,८३४; सुदेसिय [सुदेशित] सारी शत 6पहेश राये पण्हा. ३५,३७,३८,४१,४५; सुद्द शूद्र]शुद्र, [नues सूय. ४३८; विवा. २७; उत्त. ९९४; सुट्टि [सुदृष्ट] हुमो 'सुदिट्ठ' गणि.७३; सुद्ध [शुद्धाशुद्ध, होप रहित, निosis, सु४५क्ष, સચિત્ત आया. १३९,१९७,२४४,४२१,५०७,५०८, ___५१०,५३५; सूय. ७०,२५४,४३३,४३४,४९५,४९८, ५२०,५२५,५९६,६०६,६११,६२५,६३२, ६४७,६६५,६७०; ठा. १४३,२५३; सम.६१,२१५,२२२,२२७; भग.१३२,१६०,२१३,२८१,४६५,५०६, ५१८,५३१,६३९,६५२,६५५; नाया. ३३,५३,६५,६७,७५,८१,१०६,१०९, १७१,२२०; उवा.८ पहा. ३४ थी ४५; विवा. ३३,३७; उव. १७; राय. २३,३१% जीवा. १६४,१८५; पन्न.४६२,४६३; सूर. १९७; Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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