Book Title: Agamsaddakoso Part 4
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan
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(सुत्तंकसहिओ)
गच्छा. १३; सुच्चा [श्रु] सांभj.
उत्त. ७८६;
पण्हा. ८;
सुच्छिन्न [सुछिन्न] सारी रीते छेहेसुं
दस. ३३४;
उत्त. ३६;
सुजंपिय [सुजल्पित] सारी रीते जोसेलुं
भग. ५२२;
नाया. २८;
सुज [स्विष्ट ] सारी रीते ऽच्छवा योग्य
उत्त. ३९९;
सुजणकुलकन्नगा [सुजनकुलकन्यका] सारा લોકોના કુળની કન્યા
नाया. १११;
सुजसा [सुयशस्] सारी डीर्तिवाजो यशस्वी
सम. २७०;
सुजह [सुहान] सुपे तवा योग्य
उत्त. २१४;
सुजाणु [सुजान] ना सुंदर ढींथाए। छेते जंबू. ३४;
सुजात [सुजात] सारी रीते उत्पन्न थयेस
सम. ३२७;
उवा. २३;
पण्हा. १९;
जीवा. १७५, १८५; सुजाता [सुजाता ] नागङ्कुमारेन्द्र लुतानंहना કાલવાલ નામના લોકપાલની એક પટ્ટરાણી, જંબૂસુદર્શનાનું એક નામ
ठा. २८२;
सुजाय [सुजात] खो “सुजाय” टा. २९६,८४५, ८७२,८७५;
भग. ४६०, ५१८,५२०,५८७,५९४; नाया. १०, ११,४३,६२, ६४, १४५; उवा. ५,११,४५;
पण्हा. १९, ३६, ४५;
विवा. ११, १२, ३५, ३७;
उव. ३, ४, ६, ७, १०, ५०; राय. ३२,४३,४८ थी ५०,८२; जीवा. १०५,१६४, १६५, १८५,१९०; जंबू. ३४,८१,१२८, १२९, १५९; सुजाया (सुजाता ] खो 'सुजाता'
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अंत. ४१;
भग. ४८९; जीवा. १९३;
जंबू. १६१;
सुजोय [सुयोजित ] सारी रीते गोडवेस जंबू. ३४४;
सुज [सूर्य] पांयां वसोऽनुं खेड हेवविमान
सम. १३;
सुकंत [ सूर्यकान्त] खो 'उपर’
सम. १३;
सुजकूड [सूर्यकूट] दुखो 'उपर '
सम. १३;
सुज्जज्झय [सूर्यध्वज] खो 'पर'
सम. १३;
सुजप्पभ [ सूर्यप्रभ] खो 'थर'
सम. १३;
सुजलेस [ सूर्यलेश्य] खो 'उपर'
सम. १३;
सुजवण्ण [ सूर्यवर्ण] खो 'उपर'
सम. १३;
सुजसिंग [ सूर्यशृङ्ग] खो 'उपर'
सम. १३;
सुट्ठि [ सूर्यसृष्ट] यो 'उपर '
सम. १३;
सुज्जावत्त [ सूर्यावर्त्त] खो 'पर'
सम. १३;
सुत्तरवडेंसग [ सूर्योत्तरावतंसक] दुखो 'पर'
सम. १३;
सुज्झ [दे.] रौप्य, यांही, धोजी
૪૪૩
जीवा. १६५;
राय. ३२;
जंबू. १२८, १२९;
सुज्झ [ शुध] शुद्ध, खतियार राजवा, उत्तरोत्तर શુદ્ધિ મેળવવી
महाप. ९५;
गच्छा. २१,३४; पिंड. ६६४;
सुज्झाइत [सुध्यात ] सारी रीते - अर्थ पुरःसर सांभ
ठा. २३१;
सुट्ठयर [सुजुष्ट] सारी रीते सेवेस
सूय. १३९;
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