Book Title: Agamsaddakoso Part 4
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan

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Page 425
________________ ४२४ आगमसद्दकोसो सिरी [श्री] पानी अधिष्ठात्री देवी, म || सिला [शिलापत्थर, शिक्षा, पान, शिलाले, દિકકુમારી, તેજ, કાંતિ, વિશેષ નામ એક દ્રવ્ય વિશેષ सूय. ३५४, ठा. ८८,९६.२११: आया. ३६०,३६८,३६९,३७६,४८२,४९२, भग. २५,११२,११४; ४९५,४९९: नाया. १८,५७,७१,८७.९१,१४२.१४५, सूय. ३०९,३३२,६४५.६६५,६६७; १५७,१६०,१७६,१७७; सम.५१: भग. १६०,१७२: अंत. १३,३९; विवा. २,९,३३; नाया. २८,३२,६६,७५.११०,१५४; राय. १५,२८,२९,३६,६२,७५; अंत. १३: पण्हा. ११,१९,३८: जीवा. १६३,१६७.१६८,१७५,१८५: विवा. २९; उव. १०,१४,२२; दसा. ७०,१०० दस.४३५,५०६: राय. १५,५४ जीवा. १६४,१८५; सिरीय [श्रीक सक्ष्मी पन्न. २५.२०५: जंबू.३७,४३, भग. ४६४; विवा. ३२; निसी. ५४१,७९४; दसा. ३; पुष्फि .५ __ अनुओ. २३१: दस. ४१,१४०; उत्त. १५३७; सिरीस [शिरीष] वृक्ष विशेष सिलातल [शिलातल शिलानी सपाटी ठा. ९३२; भग. ३९७.८२५; पहा. १९; जीवा. १८५; नाया. १८,१२१: उव. ४; सिलापब्भट्ठय [शिलापभ्रष्टक)पत्थर ७५२थी पडेगुं राय. १५; जीवा. १६४,१७५; भग. ६५२: पन्न.४५, उत्त. १४०१: सिलाप्पवाल [शिलाप्रवाल] २२४५६ माह सिरीसव सरीसृप/सरीसरीने पेटेथीयासनारस ठा.८२३: विवा. १०; राय.६० सिलायल [शिलातल] शुमो 'सिलातल' जीवा. २००; पन्न. ३३५: उव. १०ः संथा. ९२; दसा. ३५; नंदी. १३: सिरीसिव [सरीसृप] हुमो '७५२' सिलायलगय [शिलातलगत] शिलानी सपाटीने सूय. ९३,१२४,३९५,६६७; પ્રાપ્ત सम. ११० भग.६५८; महाप. ८४; पण्हा . ७; विवा. १७: सिलावट्ट [शिलापट्ट] 42 वी पत्थर, सुडोमण राय.५६; વસ્ત્રવિશેષ सिरोधरा [शिरोधरा गईन, ओ नाया. १८५ नाया. ६१: सिलावट्टय [शिलापट्टक] हुमो 6५२' सिरोवेदना [शिरोवेदना] माथानी पी। नाया.११२,१८५ जीवा. १८५; सिलिंध [शिलीन्ध्र] वनस्पति विशेष भूमिझोडा सिरोवेध [शिरोवेध] मस्त छैन नाया. १८,११४: उव. २२; सूय. ४४८; पन्न. २०५,२१५: सिल [शिला शिक्षा, पत्थर, यहान सिलिट्ठ [श्लिष्ट) हुँथयेस, मालिंगित आया. ५१०; अनुओ. २५६,३२९; पण्हा. १९; सिलप्पवालमय [शिलाप्रवालमय] २२४५४-यांह || सिलिट्ठीकय [श्लिष्टीकृत] मेराये, आदिઅને પરવાળાયુક્ત ગેલ राय.३९; भग. २७३,६७२, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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