Book Title: Agamsaddakoso Part 4
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan

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Page 421
________________ ૪૨૦ आगमसद्दकोसो ॥ पण्हा. ३९: सिद्धिगमन [सिद्धिगमन] भोक्षमi xj ते वीर. ७: सिद्धिगय [सिद्धिगम] भोक्षमा गये सम. १८३: सिद्धावास [सिद्धावास सिद्धोनोनिवास, सिद्धશિલા पण्हा. ३३: सिद्धि [सिद्धि] सिद्धशिला, सोना अग्रभागे રહેલ, ઇષત્પ્રાશ્મારા નામની આઠમી પૃથ્વી, મુક્તિ, મોક્ષ, સકલ કર્મક્ષયથી પ્રાપ્ત आया. २१२; सूय.७३,७४,२२५,३६८,३९४,३९५,३९७ ३९८,६४१ थी ६४४,७२९.७३०; ठा.४६,७८५,९५३; सम. २५,२१६,२२२,२५२,३५१; भग.७२,११२,१३५,१५०,४६४,४६५, ७०५; नाया. ३३,२१२: पण्हा.११.२८,४१; उव. ३४,५२ पन्न.२३५,६१७: आउ. ६८; भत्त.७२; संथा.११.१७: दसा. ३५; आव. ९,४६: दस.७५,२९३,४३१ उत्त. २८६,३२५,३५९,७०९,८४५,९२९, १००६,१११५,१११७,१५२७: सिद्भिगइ[सिद्धिगति मोक्ष-गति ठा. २०३: सम. १,२५२; भग. ६२६,९१३,९२४,९५०; नाया. ५,४०,४१,६१,७५,८७,१४०,१४७, १५९,१८३,२१८,२२०,२४१: अंत. २७,३९; अनुत्त. १३; उव. १०,१२,२८,४९; राय. ५,४४,५९,८१; जीवा. १८०; जंबू. २२७: संथा. ६: उत्त. ३२७,४४१; सिद्धिगंडिया [सिद्धिकण्डिका भां सिद्धिन સ્વરૂપ વર્ણવેલ છે તેવો અધ્યયન ખંડ भग.५०९,५२८; सिद्धिगति [सिद्धिगति/ मोक्षति ठा. ४८०,५०४,५८६,७४०,९५३; भग.६,११२,११६,३७५; सिद्धिपडागा [सिद्धिपताका] भोक्ष३पी ५४ संथा. ९: सिद्धिपह [सिद्धिपथ] भोक्षनो मार्ग सूय. १०९; सम. २३२; पण्हा. ३६; नंदी. १५४; सिद्धिमग [सिद्धिमार्ग) मोक्षमा सूय. ६६५,६७०,६७१,८०३,८०४; भग. ४६४,४६५: नाया. ३३; अंत. १३; उव. ३४; दसा. १०३ थी ११२; आव. ३१; दस. ३१,३८४: सिद्धिमहापट्टणाभिमुह [सिद्धिमहापत्तनाभिमुख] મોક્ષરૂપ મહાનગર સંમુખ उव. २१: सिद्धिवहुसंग [सिद्धिवधूसङ्ग] मोक्ष३पी पत्नीनी આસક્તિ, મોક્ષની પ્રીતિ वीर. १३: सिद्धी सिद्धिदुओ “सिद्धि' __ ओह. ४६८; सिप्प [शिल्प] sel, हुनर, आरीगरी ठा. ४२७,४४१,४८६,८२२; भग. ५९८,६२२,६७२,७६४; नाया. १५; उवा. ४६; पण्हा. १६,२३,३६; उव. ३१; ' राय. १०.६८,६९; जीवा. १०५; जंबू. ४३,११२,२१४,२१७: निसी. ८००; दसा. ९९; पिंड. ४७५,४७६; दस. ४४४,४४६; अनुओ. २४९,२५१,२७५; सिप्पायरिय [शिल्पाचार्य शिल्पा शिवनार राय. ७७; Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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