Book Title: Agamsaddakoso Part 4
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan

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Page 419
________________ ૪૧૮ आगमसइकोसो पामेल, निष्पन, सिद्ध थयेट, ४२७ वियना || चउ. ११.५६: आउ. १७.१८: વૈતાઢ્ય ઉપરનું એક કૂટ, આઠ પ્રકારના કર્મોનો महाप. १,२,११४.११६,१२० ક્ષય કરેલ, કર્મબીજને બાળી નાખેલ, સત્ય, भत्त. ७०.११२: પ્રતિષ્ઠિત देविं. २७९.२८१.२८४ थी २९१,३०१: आया. ५३२: बब.३३: सूय. ७४.१६३,२२८,६०३,६४७; आव. १,८,१२ थी १४,२६,४६,५१.५३: ठा. ४६.५१,५३,७१,१०८,१९४,२८१, दस. ७५,४८१: ४९६,५८२,६९३,६९५,७२७,७३८,७५८, उत्त. ४८,११५.३७०,५३८,६१३,७१३. ७६०,७८३,८०५,८५०,८५२,८५६,८५८, १०५७.११५१,१३७४,१३८१,१५१२, ८६०,८६२ थी ८६४,८६६,८६८,९३०, १५१३,१५१९,१५२०,१५२६ थी १५२८: ९४४,१००३; नंदी. ८५ थी ८८.१५४,१५५: सम. ९९,१००,११८,१२०,१२९,१३३, अनओ.१६१.२६५.२९८.२९९: १४८,१५० थी १५२,१५७,१६२,१६३, सिद्ध [सिद्ध सिद्ध पुरुष १६८,१७१,१७४,१७९,१८९,१९२,२३२, गणि. ७७ः २३३,३४६; सिद्धंत सिद्धान्त सिद्धांत, ख, माराम भग.१,२२,७२,९३,९८,१११,११२,२६३, अनुओ. ४७ २६७,२८२,२८६,३०८,३८०,३९१,३९२, सिद्धंतपरम्मुह [सिद्धान्तपराङ्मुख) सिद्धांतथी ३९४.४२५,४३७,४५९,४६२,५०९,५२८, વિપરીત ६३६,६५२,७२२,७२४,७३४,८०५,८६७, गच्छा. १०४ ८८०,८८२ थी ८८४,८८६; सिद्धकेवलनाण [सिद्धकेवलज्ञान] सिद्ध मानाया.६७,६८,७३,७६,१०६,१०९,१११, ચિંતનું કેવળ જ્ઞાન १४४,१५६,१८२,२१३; अंत. ५,७,९ थी १४,१७,२० थी २२,२६ थी राय. ६४; . ४०,४४,५० थी ५९; सिद्धकेवलि [सिद्धकेवलिन्] सिद्ध थथेत वणी पण्हा. ३५,३७ थी ३९,४३,४५; पन्न. ४८६: विवा. ४० थी ४५: सिद्धगंडिया [सिद्धगण्डिका भां सिद्धभावत उव. ३४.३७,४०,५५ थी ५७,५९थी ६६,६८, સંબંધિ વિવેચન છે તેવો શાસ્ત્ર અધ્યયન ખંડ ७४ थी ७६; भग. १३९; जीवा. ७.३६९,३७०,३७२ थी ३७४,३८८, सिद्धगति [सिद्धगति मोक्ष ३९४ थी ३९८; पन्न. ३२७: पन्न. १.१७,२३५ थी २३८,२४० थी २४६, सिद्धगतिय [सिद्धगतिक सिद्धगतिने पामेल २४८,२५०,२५२,२५४ थी २५६,२६०, જીવ-વિશેષ २६१,२९७,३०७,३२८ थी ३३३,३८९, __ भग. ३९२; ४०१, ४०४,४७३,४९५,५२६,५५९ थी सिद्धत्त [सिद्धत्व] सिद्ध५j ५६४,५६७,५६८,५७०,५७५,५७७,६२१; चउ. ५६; सिद्धत्थ [सिद्धार्थ) सरसव, मे २॥म, शमां जंबू. २८,४४,४६,१२५,१६४,१६८,१७९, || हे र्नु मे विविमान, 5 6धान, १८५,२०७,२१०,२४१,२८९; કેટલાંકનું વિશેષ નામ चंद. २ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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