Book Title: Agamsaddakoso Part 4
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan
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(सुत्तंकसहिओ)
3८१
ससत्ता ससत्वा] सामा, गर्भवती
दसा. ३,४९: जीय. ४३; उत्त. ७७५:
आव. १७; ससद्द [सशब्द मावाणु
दस. ४१,८२,१०८,३५५; भग. ११२:
उत्त. ५५२ ससबल [सशवल] शण घोषयुत
ससरक्खपाणिपाद [ससरक्षपाणिपाद] ठेन। आउ. ४३
હાથપગ રજ-ધુળવાળા છે તે ससबिंदु [शशबिन्दुमे वनस्पति वेस
दसा. २; पन्न. ६३:
ससरीरि [सशरीरिन] शरीरसहित , संसारी ससमइय [स्वसामयिक स्वसिद्धांत-हैनशन || __ जीवा. ३७३; पन्न. ५७०; સંબંધિ
ससरुहिर [शशरुधिर] शशलानुसोडी सम. २२८;
पन्न. ४६४; ससमय स्वसमय स्वसिद्धांत-हैनशन ससल्ल [सशल्य] शल्य सहित ठा. ३०१,९६१:
महाप. २४; सम. ५२,१६१,२१६,२१७,२२०,२२१, । ससविसाण [शशविषाण] ४२५ik सी २२६,२२८;
अनुओ. ३११,३१३; भग. ६७९ उत्त.११७२:
ससहर [शशधर चंद्रमा नंदी. १३९थी १४३,१५०;
नाया. १४१; अनुओ. ३१८,३४०,३४२;
ससा स्वस्पन ससमयकुसल [स्वसमयकुशल] स्वसिद्धांतोमi सूय. १८४; નિપુણ
ससागारिय [ससागारिक] AuRs-गृहस्थ ठेभां पण्हा. ४५;
રહેતા હોય તે ससमयपरसमयण्ण [स्वसमयपरसमयज्ञ] स्व- || आया. ४२५, सिद्धांत-५२सिद्धांतन ५२, हैनशन- || ससार [ससार] सारयुत અન્ય દર્શનના જ્ઞાતા
आया. ४७२; दस.३२८; नंदी. १३९ थी १४३:
ससारहिय [ससारथिक] सारथी सहित ससय [शशक ससतो
भग. ६३९; नाया. ३७;
पण्हा. ७,११; ससि [शशिन्] यंद्रमा, यंद्रन यिन्वाणु विवा. २४,३१; पन्न. ३७८;
माम२।।, यंद्रप्रम (स्वामी) तंदु. १२६;
ठा. ५००,७६६,८२७,८७२; ससरक्ख [सरजस्क] २४वाणु, धुण-२४ वडे सम.३२७ ખરડાયેલું
भग.४४३,५१८,५१९,५२०,५४७,५८७; आया. ३६०,३६७,३७६,४४४,४८२,४८६, नाया. १०,११,१५,१६,४३,६४,११८; ४९२,४९७,४९९;
उवा.५
पहा. ११,१९; सम. ५०,५१;
विवा. ११,१२; निसी. ५३८.७९१,८८४,११००,१३१३:
उव.७,१०,२२,३१,५०; वव. २४२,२४३;
राय. ४९,५०,८२;
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