Book Title: Agamsaddakoso Part 4
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan

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Page 386
________________ (सुत्तंकसहिओ) ૩૮૫ जीवा. १०५,१६१,१६३,१६५.१६१.१७९, सहस्सवत्त /सहस्रपत्र म-विशेष १८०,१८६,१८७,१९१.२०५.२०९,२९५: राय. ३४,४२: पन्न. १२६: पन्न. ७७; सहस्सवाहिणी सहस्रवाहिनी] २ सुभट द्वारा जंबू.७७,१२८,१२९,२३९: વહન કરાતી શિબિકા-વિશેષ नंदी. ८ आया. ५२०,५३२: विवा. ३३; सहस्सपत्तजोणिय सहस्रपत्रयोनिक] ३२ || सहस्सार सहस्रार] मामा, सुवा, तमा उत्पन्न પત્રવાળા કમળની યોનિ દેવતા, તેનો ઇન્દ્ર सूय. ६८९; ठा.९८,१२४,४०६,४१७,७८१,७८७; सहरसपत्तत्त [सहस्रपत्रत्व] ३१२ ५inी! सम. ४२,४५,९९,१०८,१९०,१९८,२१३, કમળપણું २४१,२४२: भग.३२,६८.१५९,२६३,३८९,४२५. सूय. ६८६; सहस्सपत्तहत्थगय [हस्तगतसहस्रपत्र मां ५१०,५५९,५६७,६२४,६३५,६५६,७८९, રહેલ કમળ-વિશેષ ८५६,८५७,८६०,८९१; नाया.४१ जंबू. ५६; अनुत्त. १: पण्हा. २३: उव. २६,५१,५५; सहस्सपाग [सहस्रपाक] ६२ वपत ५वेतु जीवा.४६,४७.६३,६४,७०,३२४ थी ३३०: અથવા હજાર ઔષધિ નાંખી પકાવાયેલ તેલ पन्न. १९१,२२६,२२८.२२९,२३४,२६०, आया. ५२०; ठा. १४३: २९७,३०६,३२८.३३०,३३२,३४०,३४१, नाया. १५,१६४ उवा.८ ३४८,४३७,५०६,५०७,५१८,५२१,५५५, विवा. ३३; उव. ३१: ५८८,५८९: जंबू. २२६; दसा. ९९: जंबू. २३२: कप्प.३; सहस्सपुहत्त [सहस्रपृथक्त्व मेथी नव ६२ देविं. १६४,१७२,१७७,२०१,२३४; સંખ્યા વિશેષ उत्त. १६७४,१६९२: अनुओ. २९९: अनुओ. १२५,१६३: सहस्सभाग [सहस्रभाग] रमोला। सहस्सारकप्प [सहस्रारकल्प] भो हेक्लो उव. २: - भग. २७,८५६: सहस्सरस्सि [सहस्ररश्मि] सूर्य-२ [२थी सहस्सारग [सहस्रारजमा माहेवलोमा उत्पन्न યુક્ત भग. ७४८; जीवा. ३३३; भग. ११५,१६०,१७२,५०६,५३१; पन्न. ३५०,३५३.५८१: नाया. १५:३६,३७.४०,४६,४७,५१,५७, सहस्सारय [सहस्रारजमो ७५२' ६०.६९,७५,८६,९३,१४५,१५२.१५४,१६४, ___ अनुओ. १५०: १६५,१६७,१७०,१७१: सहस्सारवडेंसग [सहस्रारावतंसक] भाभावउवा. १४,१६,२८,३१,३३,३६.४०,४३, લોકનું એક દેવવિમાન ४७,५३,५७,५८; सम. ४५ अंत. १३: विवा.३१: सहस्सारवडेंसय [सहस्रारावतंसक मो. ९५२ उव. १३; राय. ६२,७७,७९; पन्न. २२८; पुष्फि .५,७,८; दसा. ४९; सहस्सिया सहस्त्रिका] सहसि अनुओ. २०,२१; उत्त. १६२४,१६८२,१६८३; Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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