Book Title: Agamsaddakoso Part 4
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan

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Page 397
________________ ૩૯૬ यारित्र, सामायिक यारित्र, सामायि श्रुत, આવશ્યક સૂત્રનું પહેલું અધ્યયન, રાગાદિ रहित प्रवृत्ति, संयम - विशेष, ज्ञानाहिनो साल, समभाव३५, सावद्ययोग निवृत्ति, મધ્યસ્થભાવ ગમન चउ. २: [जो सामाइय] सामाइअकड (सामायिककृत ] श्रावनी भी પ્રતિમા આદરનાર શ્રાવક सम. १९: सामाइय [सामाजिक ] सभा४ संबंधि, ४नसभु દાય કે સમુહ उत्त. ३५३: सामाइय [सामायिक] जो 'सामाइअ' आया. ५३२, ५३५: सूय. १२७,१३०,१४१,८०४; ठा. ८४.३३६, ४६६: भग. ९८. ११४, ११६,३३०, ३४२,३९३, ४०१,४६२,४६५.५२३, ७२७,९०४,९३६. ९३७,९४२ थी ९५३ नाया. ३८,४०,४१,६५,६७,६८,१५५, १५७, १८२,२२०, २२१: उवा. ९: अंत. ५, १०, १३,२६,३९, ४८, ५०, ५९: अनुत्त. १०; विवा. ३७: उव. ४०: पन्न. १९०९ पुप्फि. ३,८.९ आउ . ५,१९ दसा. ३८ थी ४७; कप्प. १; वहि. ३; महाप. ३: आव. २,११,१५,३७,३८: उत्त. ११०७; जो. नंदी. १ : अनुओ. ६२,६६,६९,३२९.३४०; सामाइयंग [ सामायिकाङ्ग] सामायिक नाम व्रतने આદરવું તે उत्त. १५१: सामाइयकड [ सामायिककृत ] श्रावनी त्रीभु પ્રતિમા આદરનાર શ્રાવક Jain Education International आगमस कोसो देविं. ३ : सामाइयकप्पट्ठिति [ सामायिक कल्पस्थिति ] ‘સામાયિક’ નામના આચારમાં રહેલ ठा. २२०.५८१: सामाइयचरित (सामायिकचरित्र] शास्त्रिना पांय ભેદમાંનું એક ચારિત્ર नाया. १०६ : अनु. ३०९: सामाइयचरित्तपरिणाम [ सामायिकचारित्रपरिणाम ] "सामायि यारित्र" विषय5 પરિણામ-ભાવ भत्त. ३३: पन्न. ४०७: सामाइयचरित्तलद्धि [ सामायिक चारित्रलब्धि ] "सामायि यारित्र'नी प्राप्ति अनुओ. १६१: सामाइयचरित्तविनय [सामायिकचारित्रविनय ] “सामायिङयारित्र” संबंधि विनय, विनयनो એક ભેદ उव. २० सामाइयधर [ सामायिकधर] "सामायिङ” ने ધારણ કરનાર-વહન કરનાર भत्त. ३४; सामाइयसंजयकप्पट्ठिति [ सामायिकसंयतकल्पस्थिति] "सामाथि” यारित्रना खायरामां રહેલ बुह. २०५: सामाचारी [सामाचारी] साधुनुंर्तव्य-भुनि આચાર–જેના દશ ભેદ છે, પરસ્પર મેળાપ उत्त. १००७,१०१०, १०१३, १०५८: सामाण [सामान] खेड हेवविमान सम. ४२, १६७,२२८: सामाण [ समान] सामानि देवता पन्न. २२१,२२३; देविं. ४३,४४,७१; सामाण [सन्निहित] नि52नुं, पासेनुं बुह. ९१; For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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