Book Title: Agamsaddakoso Part 4
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan

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Page 408
________________ (सुत्तंकसहिओ) ४०७ १४२,२४१,२६७.३२९.३४४,३५०.३६५, | || सासवनालिया [सर्पपनालिका सरसवनी sixel ३७०,४५८,४६७,४८७.५०९,५१०,५२८, आया. ४६; दसा. १९३: ५५०,५८३,६०७ थी ६०९,७६९: सासवसमुग्गयहत्थगय हस्तगतसर्षपसमुद्गत) नाया. ५,३३; पहा. ३९: હાથમાં રહેલો સરસવનો ડાબલો उव. ५५,७४,७७: राय. २९.३४: जंबू. ६० जीवा. ९२,११२.१६३,१६७.१७२,२००, सासा श्वाशा] तनो रोग उव. २१: २०२,२०८,३३० सासायणसम्मदिट्टि [सास्वादनसम्यग्दृष्टि] समपन्न. २३५,२५४,२५६,६२१.६२२: કિતનું કંઈક આસ્વાદન કરતો જીવ, બીજે जंबू. ४,१९,१२६.१२८ थी १३०,१३५, ગુણઠાણે વર્તતો જીવ १४०,१४१.१४३,१६२,१६३,३६२; सम. ३१: आउ. २७,७०: महाप. १६: सासिय [स्वाश्रित] पोताने माश्रित, अविनष्ट देविं. ३००: दस.७५,४८१ યોનિ उत्त. ४८,११५,५३८,९३०,१४६४; आया. ३३६ नंदी. ९२,१३९ थी १५०; सासिल्ल [श्वासिन्] श्वासनो रोगी-भीया सासय-अणंतय शाश्वतानन्तक]शत सनंत, विवा. २; અનાદિ-અનંત સ્વરૂપ सासू श्वस्तू/सासु ठा. ५०५ पिंड. ४८५; सासयभाव [शाश्वतभावासहा२नारी स्वभाव, || सासूससुराइय [श्वस्तूश्वशूरादिक] सासु-सस२॥ નિત્યભાવ વગેરે पण्हा.४४ पिंड. ५२३; सासयवाइय [शाश्वतवादिक] पोताने शश्वत || सासेंत [शासत्/ शिक्षा सावीत, शासन ते અમર માનનાર जंबू. १२१; उत्त. १२४; साह [क] ४३, थन २j सासयसुह [शाश्वतसुख] भोक्ष सुण, हीनाशन आया. १५३; नाया. २२०; पण्हा.११: राय.६,९,४२, પામનાર એવું સુખ जीवा. १७९: पन्न. १६१: चउ. १५: साह [कथय] अयन रावq सासयसुहसाहण [शाश्वतसुखसाधन] भोक्षना | राय. ६,९,४२, जीवा. १७९; સાધન, સમ્યગૂ દર્શન-જ્ઞાન અને ચારિત્રના साह [साध] साधj, आराधन ४२j, तैयार ४२ સમન્વયરૂપ सूय.७६१: भग. ५०६; भत्त.६: नाया. २१८: राय.७१ सासयसुहिक्करसिय [शाश्वतसुखैकरसिक] मे महाप. ८० थी ८४; संथा. ९२; માત્ર મોક્ષ સુખમાં આસક્ત __ अनुओ. ३०५; भत्त.३; साह [साधय] साधना Aqी, तैयार रावj सासयसोख [शाश्वतसौख्य]हुमो ‘सासयसुह" पुष्फि. ५: उत्त. ४३३,१११७ भत्त. १७३; साहइत्ताण [साधयित्वा] साधना शने, सारसासव [सर्षप] सरसव ધના કરીને दस. १९३; सूय. ६३० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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