Book Title: Agamsaddakoso Part 4
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 391
________________ ૩૯૦ आगमसद्दकोसो सागरगय [सागरगत] सागरने पामेल नही नाया. ६२; सागरचित्त [सागरचित्र) नंदनवन 6५२ सावंत એક ફૂટ टा.८५४: जंबू. १९७: : सागरचित्तकूड [सागरचित्रकूट] ओ ७५२ जंबू. १९७ः सागरजल [सागरजला समुद्रनुं पाए महाप. ३८; सागरनागरपविभत्ति [सागरनागरप्रविभक्ति દેવતાઈ નાટ્ય વિશેષ राय. २४; सागरपन्नत्ति सागरप्रज्ञप्ति शास्त्र जो.नंदी. १: सागरपविभत्ति [सागरप्रविभक्ति] देवता નાટ્ય વિશેષ राय. २४; सागरमह [सागरमह] सागर महोत्सव आया. ३४६, राय. ५४; निसी. ५७५; सागरय [सागरक] ओ 'सागरग' नाया. १६२ थी १६५: सागरवर [सागरवर श्रेष्ठ समुद्र आव. ९,४६; सागरवूह [सागरव्यूह सैन्यनी स्यना-विशेष पण्हा. १५; सागरसलिल [सागरसलिल समुद्र ४॥ महाप. ३७; सागरिय [सागरिक हुमो ‘सागारिय' ओह. ४९ सागरोवम [सागरोपम] Nisोडी पस्योपभપ્રમાણ કાળ, કાળનું એક માપ-જે સાગરની ઉપમા આધારે નક્કી થાય છે आया. ५१०; टा. ८९,९९,१०३,१०६,१२१,१५१,१५४, २१३,२४२,३२०,६७३,६७७,६७८,७३०, ७३६,८०३,८८१,९२१,९७६,९७७: ।। सम. १ थी ७.१०.१३,१८,१९,२५,२६,३१. ३७.४१,४२,४५,४९ थी ५४,५९ थी ६३. ९९.१०१,१०८,१०९,१४४,१४८,२१४,२४५: भग.११७,१६३.१७६,२१८,२८३.२९९. ३०७.३१०,३९६.४२४,४२५,४६७ थी ४६९,४९०.५१६ थी ५१८,५२३ थी ५२६. ५२८,५५३.५५६,५५८,६२६,६४८, ६५६.६५७,६७६,६८७,६९५,७०८,७२७, ७५२.७८०,८३९ थी ८४३,८४८,८५६. ८५७.८६०.८९४,९१३,९४५,९५३. १०६४,१०६६,१०६७; नाया. ४१,८०.८१,९३,१४०,१५९,१६० अनुत्त. १,१२,१३; पण्हा.८,२०,२४: विवा. ९,१०.१४,२०,२३,२८ थी ३४; उव. ४८ थी ५२: राय. ४२; जीवा. ४०,५०.५१,५९.६१ थी ६३,६५,६७, १३५,१३६,१७९,२८७,३२५,३४२,३४४, ३४७.३४८.३५०,३५६,३५७,३६५ थी ३६८,३७१.३७५,३७७,३७९,३८३,३८४, ३८९,३९०,३९२ थी ३९८; पन्न. २९८,२९९,३०६,४७३ थी ४७६,४७८. ४८० थी ४८३.४८९,४९१,५४१ थी ५४३ सूर. ३७.३९ः चंद. ४१,४३: जंबू. २७.२९.३९.४०,४७,४८,५३: निर. ८,१८; पुष्फि. ८ थी ११; वण्हि . ३: देविं. १७५,१७७,१९७,२३१; दस. ५०६,५२१: उत्त. १३७९,१६२४ थी १६३०,१६८७, १६८९ थी १६९३.१६९५,१६९७ थी १६९९,१७०५,१७०७; अनुओ. १३८,२८०.२८२,२८४,२८६, २८८,२८९,२९५,२९७,३१७; सागरवच [शाकवर्चस्] सासवृक्ष, नो ध्यरो आया. ५००; निसी. १९३; सागार [सागार] आ॥२ सहित, छु2012वाणु आया. ४५२,४५८; टा. ९५८; Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530