Book Title: Agamsaddakoso Part 4
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan

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Page 389
________________ 3८८ आगमसद्दकोसो भग.११६.१३०.१६०,१७२०,२४४,३३२. || साइयंकार [सत्यकार] त्री, पुरायो ३३६,३३७,३७५,४०५,५०६,५२०.५२१, पिंड. ४२: ५३१,६२६,६२७.६३९,६७६.७२७: साइयार [सातिचार] अतियार सहित, छहोनाया. १७,२५,४०,४६,४७,५१,५२.५४, પસ્થાપનીય ચારિત્રનો એક ભેદ ५७,६६,६७,६९ थी ७१,७५,८५,८७. पन्न. ३१: अनुओ. ३०९; ९३,९५,९८,१४४,१४५,१४७,१४८,१५० साइरेग [सातिरेक] विशेष, थोडं वधारे थी १५२,१५७ थी १५९,१६२ थी १६५, नाया. २५.६४.१८०.२२६: १७०,१७२,१७३.२१०,२१५,२१८,२२०: उव. १४,५०.५५: उवा. १०,१३,१४,२०,२९.३२,३४,३७, राय.३०.३६,३९.६९ः ४६,४९.५७,५८; जीवा.६३.१५८.१७४,१७५.१७७,१८७, अंत. २७,३९; १९१,२९४,३७१,३७७.३८४ विवा. ६,२१ थी २३,३१,३३,३७; पन्न. ४८२,५४१; सूर. ३९.१२८; उव. ४९ थी ५१; जंबू. १४.२१,४८,५३,१२८,१२९,१३५, राय. ५५,५७,६१,६६,७१,७७ थी ८३; १३९.१४३,१९४,१९९,२५८,३५५.३६२; पुष्फि. ५,७,८; पुप्फ. ३; निसी. १३८२ थी १३८७; निसी. १०७.११८ थी १२९,१३१,१३२, वव. १३ थी १८.२६७ः २३३,३१३,३१६,३४९,३५०,५४५, नंदी. १४३: ५४७,५५४,५५५,५६१ थी ५६९,५७१, साई [साईशयी ५७५ थी ५७७,५८३,५८४,५८९ थी गणि. ३९; देविं. ९७: ५९६,५९९ थी ६०७,६३८ थी ६४१,७२८ साईय/सादिकठेनोमानछेते, उत्पत्तिवाणु थी ७३३,७६०,७६१,७७४,७७६,७७७, उत्त. १४७३,१४७६,१५२९,१५४३,१५५१, . ७८७.९८०,९८२.९८३,९८६,९८७,९९०, १५६५,१५७७,१५८५,१५९५,१६०४,१६१४, ९९१,९९४,९९५.९९८,९९९,१०७०,१०७४, १६२३,१६३८.१६४७,१६५३,१६६२; १०७५,१०८५,१०९१ थी १०९३,१२३२ साउ [स्वादु/स्वादिष्ट थी १२३९,१२५८,१२७६ थी १२९१; उव.४: जीवा. १६४ः बुह. १९,४२,८१,९८,१२१,१२२,१३६, उत्त. १२५६; १४८ थी १५१; वव. ६३ थी ६५; साउग [स्वादुक] स्वादिष्ट सूय. ४०३,४०४: दसा. ३,४,११०, आव. ८२ थी ९२: साउणि [शाकुनिन्] पक्षीनो वध ४२॥२, शीरी पिंड. १६१,१६९,१९१%3B पण्हा. ११ दस. ३९,१२२,१२४,१२६,१२८,१३२. साउणिय [शाकुनिक हुमो. ९५२' १३४,१३६,२०२,४९२,४९३; उत्त. ५०५,५०६, सूय. ६६३; ठा. ६२१; साइय [सादिक साहि सहित, श्रुतशाननो मे पण्हा . ८; विवा. ३२ थी ३४ ભેદ अनुओ. १८१; आया. २१२,५०६ थी ५०८; साउफल [स्वादुफल) स्वादिष्ट नंदी. १२९,१३६,१५७; जंबू. ३२; Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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