Book Title: Agamsaddakoso Part 4
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan
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૩૬૪
आगमसद्दकोसो
सरमाण [स्मरत] स्भरए। ३२ते, या २ ते सम. २३८; आया. ५३९: नाया. १३४ः ।
भग. ४६५,५०६,५१८,५४९,६५२: निसी. ३९,४०: वव. १०९.१११: नाया. १२,१५,१८,२५,३३,३७.५७,८७, सरय [शर]gमो 'सरद"
१३४:
अंत. १३: आया. ५२८: सूय. ७१:
पण्हा. १५,४५: उव. २.२९: टा. ३००,५७४,८७२,८७५:
राय. १५,४२,४४ नाया. ११७: पण्हा. ३६;
जीवा. १७५,१७९,१८०; जीवा. १८५; वण्हि . ३:
पन्न. २०३,२०५,२१७; सरय [शरक] शणी, शणीयो, ठेनी साथे आरएन जंबू. ४६,५६,६०,७६,७७.१२१,१२२.
લાકડું ઘસવાથી અગ્નિ ઉત્પન્ન થાય એવું એક १२५.२२६,२४०,२४१; પ્રકારનું ઘાસ
दसा. ९९; भग. ५०६, नाया. २११; सरसयविद्ध [सरशतविद्ध] सें पावरे पण्हा. ४५; पुष्फि .५;
વિંધાએલ सरय [सरजस्का २४ सहित
भत्त. ११२; सूय. ७१:
सरसर [सरःसरस्]सरोवरनी शरमाणा सरयचंद [शरच्चन्द्र] श२६५हिभिानो यंद्र
नाया. १७६.१७७; उवा. २४.२७: नाया. २१:
जंबू. ७९,१०४: सररुह /सरोरुह] भण
सरसरपंतिय [सरःसर पङ्क्तिका] Ajावे। दसा. ५३;
સરોવરની પંક્તિ सरल [सरल] स२०१, *, विहानुं वृक्ष, सिधु, | निसी. ७६३,१२४७; अनुओ. २६३: પાંસરું
सरसरपंतिया सरःसरःपङ्क्तिका हुमो 6५२ भग.३९७; नाया. १३४:
आया. ४६१,५०३,५०५: जीवा. २४; पन्न. ७१,७८:
भग. २६०,२६४,४२५; सरलक्खण [स्वरलक्षण] स्व२ एवानी मे नाया. ३७.४५.११३,१४५; કળા-વિશેષ
पण्हा. ४५: राय. ३२: टा. ६१५: अनुओ. १७५: जीवा. १६५; सरलवण (सरलवन विहारा वृक्षनु पनेतुं वन पन्न. १९२ थी १९४,२०१,३९४: जीवा. १८५: जंबू. ३२:
सरसरसर [सरसराहट] "सरसर"-मेवो सवा४ सरला [सरलको 'सरल'
કરીને भग. ८२३:
भग. ६४५: सरव [शरप] भु४५रिस-तिर्थय पंथेन्द्रियनी || सरसव [सर्षपसरसव, तनुंतला धान्य, એક જાતિ
સરસીયું તેલ सूय. ६८९:
उव. ४४: सरवण [सरवण) मे नामरों में संनिवेश सरसी सिरसी] तलाast भग. ६३८ः
राय. ३२:
जीवा. १६५: सरस [सरस] रसवाणु, त?
पिंड. ८३:
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