Book Title: Agamsaddakoso Part 4
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan
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(सुत्तंकसहिओ)
૩પ૯
पन्न. ३७८: सूर. १९६,१९७; चंद. २००,२०१: जंबू. ८०; पुप्फि . ५,८:
पुण्फ. ३: संथा. २७;
गच्छा. ८८ः दसा. २१,३५: दस. ७,२०३,३२२,४०२,५३२; उत्त. १८,१८६,१९३,४९८,५०५,५१२,
१००७,१०३८,१२१६; अ.नंदी. १; अनुओ. १७५,२६३; सयणजंभग [शयनजृम्भक हम देयतानी से
જાતિ
उव. १;
पन्न. २०५,२१७; उत्त. २४६; सयजज्जर [सतजजर] सोछिद्रवणु __महानि. १४९४: सयजल [शतज्वल विविमान
देविं. २७० सयज्झिया /दे.] 43सए।
पिंड. ३७० सयण स्वजनस्व४न, स, संबंधि
आया. ६३,५१०,५३५; सूय. ६४५,६६५; भग. १६०,१७२,४६५,५०६,५२१,६७६: नाया. ४६,४७,५०,५२,६२,६५,७५,८७,
१३९,१४५,१५२,१५७.१६२,२११,२२०; उवा. ५.१४,२०.२९,३२,३४,४०,४७,५२, ५७,५८;
अंत. २७; पण्हा. ७,१६,२०,२३; विवा. १४,१५,१९,२१ थी २३,३२; उव. ५०
राय. ६५,८२,८४: जंबू. ४४:
भत्त.३२,९९: उत्त. ४५७,४५८,४६३,४६४; सयण शयन]शय्या, पतंग
आया. २७०,२८८,२९१.२९४,४७२,५३९, ५४० सूय. १२२,१९८.२५०,५८४,६४७,६६२,
६६४ थी ६६७,६७१,७९४; ठा. ६१७,७०२,८०२: सम. ५५.२२७ भग.१३०.२६०,२६४.४२४.५१८.५२०,
५४७,५४९.५५१.७०५.९६५: नाया. १२,२५,४३.५७,६४,१४५.१७०ः उवा. ५: पण्हा. ७.२१.२३,२४.४३.४५: उव. ६,५०: राय. ३२,४८.५१,८२,८४: जीवा. १६५,२९०,३४१:
भग. ६३० सयणपुण्ण शियनपुन्य] शय्या माहिना हानथीथतुं પુણ્ય, નવભેદપુન્યમાંનો એક ભેદ
ठा. ८३२: सयणविहि [शयनविधि/शय्या नावानी तथा તેના ઉપયોગની વિધિ सम. १५०
नाया. २५: उव. ५०;
राय. ८३; सयणविही [शयनविधिामो ५२'
ओह. १००४; सयणानुराय [स्वजनानुराग] स्व४ननी प्रीतिરાગ-આસક્તિ
भत्त. ३२ सयणिज्ज [शयनीय]शय्या, सुवायोग्य भग. १६३.१७२,५१८,५४९,६१७; नाया. १२,१४,१५,८१,८२,१५४,१६३ थी
१६५.१७६.२२०.२२१; अंत. ३,१३.१४: विवा. ३३,३७; राय. ४०,४२: जीवा. १८७.१९१: सूर. १९७: चंद. २०१: जंबू. १२८.१२९.१३५.१३९.१४३.१५१,
१५४.२२६: निर. १०:
वण्हि . ३: देविं.२५२.२५४,२६२.२७२: दसा. १०३:
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