Book Title: Agamsaddakoso Part 4
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan

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Page 336
________________ (सुत्तंकसहिओ) ૩૩૫ समाउट्ट [सं + आ + वृत्] नथ, आधीनथj || समाण [सत् विधमान, छतु सूय. ६४१; आया. ३३५ थी ३४२,३४४ थी ३४६, समाउत्त समायुक्त सहित, युत ३५२,३५६,३५८ थी ३६१,३६३ थी सूय. ६५; भग. ७८,४६५; ३६६,३६८ थी ३८२,३८४ थी ३८७, उव. ३१; राय. १६: ३८९,३९२ थी ३९६,४४०,४८८,४९७; दसा. १०१: दस.३४२: सूय. ६५७,६६४,६६७,६८८,६८९; उत्त. ९९६,१४०४.१४०६,१४०८, ठा. १४३,२१२,२३७,८७२,१०००; १४१०,१४१२,१४१४; सम. ४५,४९,१०९,११०,२२३; समाउय [समायुष्क हेमना आयुष्य समानछे भग. ८३,८४,११२ थी ११७,१२३,१३३, તે, સમાન આયુવાળા १३४,१५६,१६०,१६३,१६६,१७०,१७२ भग.२७,२८,६८९,७१५,९९५,९९६, थी १७६,१८१,२२८,२२९,२३६,२४५, १०३४,१०३५, पन्न. ४४२,४४५; २४६,२७३,३३३,३७२,३७३,३७५,३८०, समाउल समाकुल] व्याण ४६०,४६२ थी ४६७,४८७,५०६,५०८, सम. ११० राय. २९: ५१८,५२०,५२१,५२३,५२६,५३०, जीवा. १६७ः ५३५,५३६.५८७,५८८,६०१,६०२,६२६, उत्त. ७९९,८०३,८११ ६३८,६३९,६४१,६४५,६४८.६५० थी समाओग समायोग] स्थिरता ६५३,६५५ थी ६५८,६७२,६७५,७२७. तंदु. १४; ७३१,७४२,७४४,७५०,७५६,७६४, समाकुल (समाकुल व्याज ७८९,९१३; पण्हा. १५, उवा. ५,११,१७,१८,२० थी २४,२६,२७, समागच्छ [सं + आ + गम्] सोभे भाव, २९.३०.३२ थी ३९,४२,४३,४५ थी ४७, - આગમન કરવું, જાણવું, સંયોગ, સંબંધ કરવો ४९,५२.५४,५५,५७; नाया. १४७: अंत. ५,१३,२०,२७,३९,४८,५०,५१,५४; समागत [सभागत मावे अनुत्त. १०; पण्हा. ८,१६; ठा.४५४; विवा. ५,६,९,१०,१२,१३,१५ थी १७,२० समागम [समागम] समागम, संयोग, भेणा५ थी २३,२५,२६,२८ थी ३४; सूय. ४१०, भग. ३०७.५१६; उव. ११,२७,३० थी ३२.४९,५० जंबू. २२,२६,२७,२९,३१; राय. ८,१० थी १२,१५,१६,१९,२२,२३, उत्त. ८६०,८६६,९३४: ४१ थी ४४,५२,५६ थी ५९,६२,६७,७१, अनुओ. ६२.२५१,२५२,२७५,२७९: ७५,८१.८२; समागम्म समागम्य भावीने जीवा. १०५,१७९,१८०.२९४,३०७: उत्त. ८७७ पन्न. ४२८,४६३,५५७,५८२,६१२; समागय [समागत मावेश सूर. ४० चंद. ४४; भत्त. १४७: दस. १८२: जंबू. ४२.४४,५१,५५,५६,६० थी ६२,६७. उत्त. ३७८,३८७,३९२,८६५,१०७३: ७३ थी ७७,७९,८४,८७,९०,९६,१००, समाचर [सं + आ + चर] सभ्य माय२९४२ १०३ थी १०५,१२० थी १२२,१२९, उवा. ३० १३५,१३९,१६९,१७१.२२६ थी २२९; Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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