Book Title: Agamsaddakoso Part 4
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan
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૩૨૬
आगमसद्दकोसो
संस्थित समयतुर संस्थानमा २२२१ सूर. २,२९: तंदु. ६४: समचउरंससंठित [समचतुरस्रसंस्थित हुमो ७५२
सूर. ३५,५३; चंद. ३९,५७; समचक्कवालसंठित समचक्रवालसंस्थित] समચક્રવાલ-આકારે રહેલ
सूर. २९,३५,१३२,१४६,१५१; समजस समयशस्यशनी समानतावाणो
पन्न. २३२; समजोगि [समयोगिन्] समान योगायो
भग. ८६४; जंबू. २४१,२४३: समजोतिभूत समज्योतिभूतमनिसमान
जीवा. १०५; समजग [समर्जक] उत्पन २नार
भग. ९९२: समञ्जिण [सं + अ भेगqg, Gत्पन्न २
भग. ९९२; विवा. १०: समजिणमाण [समर्जतत्पनsRj, मेणवते |
विवा. ७; समजिणित्ता [समय उत्पनरीने
सूय. ३२६; नाया. ७४: विवा. १०; राय. ६५; समजित [सम्मार्जित संभार्डन रेस
भत्त. ५० समन्जिय [समर्जित/6ठित भग. ५११,८०५;
उत्त. ११८९,११९२; समजुइय [समद्युतिक]धुतिनी समानताnj
जीवा. ३३७ समजुतीय सिमद्युतिक] हुमो ७५२
पन्न. २३२; समट्ट [समी समर्थ, शतिसंपन, युत, यित सूय. ७०२,८०४; भग.२४,२७.५१,८३.११२.११५,१४३. १७०,१७१,१८१,१८५,१८८,१८९,२२०, २२९,२३०,२३२,२३२,२३४,२३८,
२३९,२४१,२५४,२६६,२७३,२९१,२९४, ३१३,३१६.३१८ थी ३२०,३२४,३३१, ३४९,३५७,३६३.३६५,३७१.३७७, ३९८,४४८,४८२.४८७,४८८,५०८,५१२. ५२६,५२८,५३३,५३६,५५०,५८१,५८३, ६०४,६०५,६१२,६२७,६५२,६५५,६७२, ६७३,६८६,६९९,७०२,७०३,७२९,७३४. ७४४ थी ७४६,७५१,७५३,७५७,७६१, ७६५,७८०,७९३,७९४,१०५७,१०६०, १०६७,१०६८; . नाया. ४०,६७,७५,८५,९२,१४३,१६३,
१७५,१७७; उवा. १२,२७,३९,४३,४६; अंत. १३: विवा. ६; उव. ४४,४८ थी ५२,५४,५५; राय. १५,३१,६५ थी ७०,७३; जीवा. ९८,१०५,१३७,१६४,१८५,२१८,
२१९.२९१ थी २९३,३०७; पत्र. ३७७,४२६,४४३ थी ४४६,४४८, ४६४,४६५,४९७,५०० थी ५०६,५३१, ५३३,५७४,६१४.६२०; सूर. १२६: चंद. १३०; जंबू. ३५.३७,१४१,३५१; तंदु. २०; दसा. १०३,१०५;
अनुओ. २६५,२७५: समण [श्रमण] मुनि, निन्थ, साधु, भगवंत મહાવીરનું એક ઉપનામ, શાજ્યાદિબૌદ્ધ વગેરે સાધુ, તપથી શ્રમિત થનાર, પાખંડી લોક आया. ७६.१४६,२०६,२१५.२२३.२६५, २९१.३०७.३०८,३२८,३४१,३४२.३४४, ३४६,३४९.३५६.३५९,३६३,३६४. ३७५,३८३,३८८,३९०,३९२,३९८,४०५, ४१४ थी ४१८.४४६,४४७,४५३ थी ४५५,४५९ थी ४६३,४७७,४८०,४८३. ४८६.४८८,४८९.४९३,४९७,४९९. ५०९ थी ५१३.५२०,५३२,५३५;
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