Book Title: Agamsaddakoso Part 4
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan

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Page 269
________________ ૨૬૮ आगमसद्दकोसो संतच्छित [सन्तक्षित] छोsi Gana || संतस [सं + त्रस्म यभीत थj, 6द्वि थर्बु पण्हा . ८; उत्त. ६०,१४४,१५७,७९६; संतत्त [सन्तप्तपतपेटी, राणे संताण [सन्तान] संतति, परिवार, समूह, सूय. १७७,२६८; उत्त. ४५१: કરોળીયાનું જાળું, પ્રવાહ संतपयपरूवणया [सत्पदप्ररूपणा] विद्यमान भग. ४६४,५२१: नाया. ३७: વસ્તુની પ્રરૂપણા पण्हा. १६: उव. २१: अनुओ. ९०,१०६,११४.१३३: आव. १६: ओह. २९० संतप्प [सं + तप]तपयु, २मथj, पीतथj दस. ५०६; उत्त. ४८२: सूय. ३३२; सूर. ४० संताणग [सन्ताणक] रोगीयानाj संतप्पमाण [संतप्यमान] तपतो, गरम थतो आया. ३५६.३६८,३६९,३७६.३९२. सूर. ४० ३९८,४३३,४३८,४३९,४४५,४४७,४८१, संतय [सन्तताव्यात ४८६,४९२,४९४,४९७; पन्न. ३५३; दस. ५०६: निसी. ५४३,७९६,८८९,११०५; उत्त. ५० संताणय [सन्तानक] हुमो 6५२' संतय [सत्कासंधि, मासिडीवnj आया. ३३५,३६०,३९८,४१०,४८२, अनुओ. ३११: ४८६,४९२,४९७ थी ४९९.५०१: संतर सान्तर मंतर सहित सूर. १९८ः बुह. १३९ थी १४२; भग. ४५१,४५२.४५८,५८५: संतारिम सन्तार्यतरवायोग्य पन्न. ३३०,३३१,३९३: आया. ४५२,४५३,४५८: बुह. ५४ थी ५७; संताव [सन्ताप] संताप, हुम, भी वव. १९ थी २२,६७,१०५,१०६,१०९, । पहा. १६: ११०,११३,१३७,१३८,१४८: | संताव सं + तापय] परम २j, diag दसा. ४९; अनुओ. ३३९; सूर. ४०: चंद. ४४: संतर [सं+तरीने, तरीने पार २ संतावणी [सन्तापनी] नामओने संताप निसी. ७८८: ઉપજાવનાર કુંભી संतरंत [सन्तरत्] तते सूय. ३३२; निसी. ७८८; संति [सन्ति] iति, निरुपद्रव स्थिति, पायनो संतरण [सन्तरण] तते ઉપશમ, અહિંસા, નિર્વાણ, મોક્ષ, તીર્થંકર-ચક્રી ओह. ७६; શ્રી શાંતિનાથ संतरिअ [सान्तरिक] witutj आया. ५८.८६.२०७: ओह. १९९: सूय. २४४.५०७.५३२.५५७.५९५: संतरित्तए [सन्तरीतुम्] तरवा माटे ठा. २४२.२४५.४४९.९०७; ___टा. ४५०; बुह. १३७: सम. ५३.५४.११६.१५३,१६८ संतरुत्तर [सान्तरोत्तर] sassis aut मोढवानु भग. ७९४; विवा. २७ः વસ્ત્ર, બે તીર્થકરવચ્ચેનું અંતરુ आव. ५.४२: उत्त. ४०२-४०५: आया. २२५: उत्त. ८५९.८७५: ।। नंदी. १९:. अनुओ. १३९: Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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