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विषय-सूची
४२३
धर्म सुनने की अयोग्यता और उसके | साधु धर्म तथा निदान कर्म के कारण __ फल का वर्णन
४१६ निर्वाणपद प्राप्त न करने का वर्णन ४४३ देवलोक के काम-भोगों का अधिकार साधु बनने के निदान कर्म का फल ४४५
और धर्म सुनकर श्रद्धा का उत्पन्न निदान कर्म न करने के फल और न होना
४२० निग्रंथ प्रवचनादि का वर्णन ४४८ अन्यतीर्थियों और निदान कर्म के फल केवल ज्ञान उत्पन्न होने का वर्णन ४४६ का वर्णन
| केवली भगवान् के सिद्ध-पद प्राप्त निदान कर्म से देव बनने का वर्णन ४२७ ___ करने का वर्णन
४५१ . दर्शन श्रावक बनने का वर्णन ४२६ निदान कर्म न करने का फल ४५३ श्रावक के धर्म का वर्णन
४३४
भगवान् के उपदेश को सुनकर बहुत से देव बनकर श्रावक बनने का अधिकार ४३६ । साधु और साध्वियों की आत्म-शुद्धि श्रावक के धर्म का अधिकार
४३७ का वर्णन
४५४ श्रावक धर्म के फल का वर्णन ४३८ । श्रमण भगवान् महावीर का परिषत् के अन्तप्रान्त कुलादि में उत्पन्न होकर
समक्ष आयाति नामक अध्ययन का साधु बनने का अधिकार
सविस्तार वर्णन करना
४५६
४४१
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