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श्रमण भगवान् महावीर स्वामी की देशना
कितने ही साधु वा साध्वियों को श्रेणिक राजा को देखकर संकल्प उत्पन्न होने का वर्णन
श्रेणिक राजा को देखकर साधुओं का संकल्प
चेलना देवी को देखकर साध्वियों का संकल्प भगवान् का साधु वा साध्वियों को आमंत्रित कर उनके भावों को
प्रकट करना
श्री भगवान् द्वारा निर्ग्रथ प्रवचन के माहात्म्य का वर्णन
दशाश्रुतस्कन्धसूत्रम्
साधु ने भोगादि कुलों में उत्पन्न हुए कुमारों की ऋद्धि को देखा, इसका सविस्तर वर्णन
उग्रकुलादि कुमारों की ऋद्धि का वर्णन
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कुमारों की ऋद्धि को देखकर के साधु निदान करने के विषय का वर्णन ३८६ साधु ने निदान कर्म किया, फिर बिना
आलोचन किए देव बना, फिर तद्वत् कुमार हुआ, इस विषय का वर्णन ३८७ कुमार के धर्म सुनने की अयोग्यता का
वर्णन और निदान कर्म के अशुभ फल विपाक का वर्णन
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निर्ग्रथी के किसी सुंदर युवती को देखकर निदान कर्म करने का वर्णन तप, नियम, ब्रह्मचर्य के फल से निदान कर्म के फल का वर्णन
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निर्ग्रथी का निदान कर्म करके फिर देवलोक जाने के अनंतर मानुष लोक में कुमारी बनना
कुमारी की यौवनावस्था और उसके विवाह का वर्णन
धर्म के श्रवण करने की अयोग्यता और उसके फल का वर्णन
साधु ने किसी सुखी स्त्री को देखकर निदान कर्म का संकल्प किया, उसका वर्णन
पुरुष के कष्टों को देखकर स्त्री- जन्म को अच्छा समझकर स्त्री बनने का निदान किया, उसका वर्णन निदान कर्म करने वाले भिक्षु के स्त्री बनने का अधिकार स्त्री के सुखों का वर्णन
स्त्री की धर्म सुनने की अयोग्यता और उसके फल का वर्णन
निर्ग्रथी का कुमार को देखकर निदान कर्म का संकल्प करना
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स्त्री को देखकर अन्य लोगों की कामना और स्त्री के कष्टों का वर्णन पुरुष के सुखों के अनुभव करने की इच्छा का वर्णन
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पुरुष बनकर सुख भोगने और धर्म के सुनने की अयोग्यता का वर्णन मनुष्य के भोगों की अनित्यतादि का वर्णन देवलोक के काम-भोगों का वर्णन देवलोक के सुखों का वर्णन, फिर च्यवकर मनुष्य बनने का अधिकार
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