Book Title: Agam 27 Chhed 04 Dashashrut Skandh Sutra Sthanakvasi Author(s): Atmaram Maharaj Publisher: Padma Prakashan View full book textPage 9
________________ विषय-सूची ३०२ | साधु दोषों को इस प्रकार छोड़ देवे, ३०३ | जैसे साँप काँचली छोड़ देता है ३३२ ३०४ | निर्दोष मुनि के लिए कीर्ति और सुगति ३०५ - की प्राप्ति ३०६ / मोह-रहित मुनि मोक्ष की प्राप्ति न करता है ३३४ 333 ३०७ ३०६ ३१२ ३१३ ३३८ ३१५ ३१६ पाँचवें छठे सातवें आठवें नौवें दसवें ग्यारहवें बारहवें तेरहवें चौदहवें पंद्रहवें सोलहवें सतरहवें अट्ठारहवें उन्नीसवें बीसवें इक्कीसवें बाईसवें तेर्हसवें चौबीसवें पच्चीसवें छब्बीसवें सत्ताईसवें अट्ठाईसवें उनत्तीसवें तीसवें आत्म-गवेषी भिक्षु के मोहगुणों को छोड़ देने का वर्णन साधुओं के उपदेश विषय ३१८ ३१६ ३२० ३१० दशमी दशा | राजगृह नगर और श्रेणिक महाराज . का सविस्तर वर्णन ३१४ महाराजा श्रेणिक का नौकरों के प्रति __ श्रमण भगवान् महावीर स्वामी को उद्यान में ठहरने के लिए आदेश. ३४१ ३१७ भगवान् का राजगृह में पधारना ३४७ भगवान् के आगमन को जानकर अधिपतियों का एकत्र होना ३४८ उद्यान के अधिपतियों का भगवान के ३२१ __ आगमन की महाराजा श्रेणिक को सूचना देना राजा श्रेणिक का उद्यान-पालकों को प्रीतिदान से संतुष्ट करना श्रेणिक राजा का सेनापति को ___ आमंत्रित करना . ३२७ श्रेणिक राजा का यान-शालिक को ____ आमंत्रित करना ३२६ वाहन-शालादि का वर्णन श्रेणिक राजा के स्नानादि के पश्चात् भगवान् के दर्शन करने का सविस्तर वर्णन ३६२ ३२२ ३२३ ३२४ ३२५ ३२६ ३२८ ३३० ३३१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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